Sunday, 16 July 2017

 4 जहर हर रसोई में ,

 संभल जाए .. बहुत पछताने वाले है...

विज्ञापन आधारित खान पान में हुए बदलाव से हमारी स्थिति यहाँ तक पहुच गई है कि सरकार के आंकड़े के अनुसार हर 100 में से 85 लोग किसी ना किसी बीमारी का शिकार है, ये बीमारी हमें कोई देकर नहीं गया है, ये हमने खुद पैदा की है. आपने अपने खानपान में इतने बदलाव कर दिए जिसके अनुकूल हमारा शरीर नहीं है, हमने अपना खाने का सब तरीका बदल दिया, जो चीज विज्ञापन में दिखाई जाती है वो अपनी रसोई में ले आए. जिससे आपकी सेहर का सत्यनाश हो गया.
जानिए उन 4 जहरों के बारे में जो आपकी रसोई में है
1- आयोडीन नमक (समुद्री नमक)- आयोडीन के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नहीं होता। आयोडीन और फ्रीफ्लो नमक बनाते समय नमक से सारे तत्व निकाल लिए जाते हैं और उनकी बिक्री अलग से करके बाजार में सिर्फ सोडियम वाला नमक ही उपलब्ध होता है जो आयोडीन की कमी के नाम पर पूरे देश में बेचा जाता है, जबकि आयोडीन की कमी सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में ही पार्इ जाती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक केवल उन्ही क्षेत्रों के लिए जरुरी है। सेंधा और काला नमक ही खाये। आयोडीन नमक उच्च रक्तचाप, थाइराइड, लकवा और नपुं-सकता का प्रमुख कारण है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , यही बेचा जा रहा है डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया ! और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे !! वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया !
अंत आपके मन मे एक और सवाल आ सकता है कि ये सेंधा नमक बनता कैसे है ??
तो उत्तर ये है कि सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है !! पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’ ,लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है ! जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है ! मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !! क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है !! और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !!
2- रिफाइंड तेल(सोयाबीन तेल,पाम तेल, डालडा और राइस ब्रान)-  क्या आपने कभी विचार नहीं किया ?? कि आखिर जिस Refine तेल से आप अपनी और अपने छोटे बच्चों की मालिश नहीं कर सकते, जिस Refine को आप बालों मे नहीं लगा सकते, आखिर उस हानिकारक Refine तेल को कैसे खा लेते हैं ?? आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइन तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है | कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं | इन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जम कर प्रचार किया लेकिन लोगों ने माना नहीं इनकी बात को, तब इन्होने डोक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया | डोक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू किया. यदि आपकी की जलवायु ना ज्यादा गर्म है और ना ज्यादा ठण्ड है तो सरषों और मूंगफली के सुद्ध तेल ही खाये जो आपके सामने निकले डब्बा बंद तेल ना खाएं। और आप जहाँ रहते हैं वहां गर्मी ज्यादा है तो नारियल तेल और जहाँ आप रहते हैं वहां ठण्ड ज्यादा है तो तिल और जैतून का तेल ही खाएं। रिफाइंड तेल नपुं-सकता और हृदयघात का प्रमुख कारण है।
3- चीनी(शुगर) – चीनी जहर है क्योकि उसके बनाए में बहुत ज्यादा केमिकल का इस्तेमाल होता है, जो आपके शरीर में चले तो जातेहै लेकिन बाहर नहीं आ पाते.  देशी गुड़ ही खाएं, क्योकि गुड अमृत है, इसे प्राकृतिक तरीके से बनाया जाता है, इसको बनाने में दूध का प्रयोग होता है, ना कि किसी जहरीले केमिकल का.
4- एल्युमीनियम के बर्तन( नॉन स्टिक और प्रेशर कुकर) – हमारे देश में एल्युमिनियम के बर्तन 100-200 साल पहले ही ही आये है । उससे पहले धातुओं में पीतल, काँसा, चाँदी के बर्तन ही चला करते थे और बाकी मिट्टी के बर्तन चलते थे । अंग्रेजो ने जेलों में कैदिओं के लिए एल्युमिनिय के बर्तन शुरू किए क्योंकि उसमें से धीरे धीरे जहर हमारे शारीर में जाता है । एल्युमिनिय के बर्तन के उपयोग से कई तरह के गंभीर रोग होते है । जैसे अस्थमा, बात रोग, टी बी, शुगर, दमा आदि, सबसे अच्छे बर्तन मिटटी,कांशा,पीतल,स्टील और लोहे के बर्तन में ही खाना पकाएं और खाएं। कुकर तो सोने का भी ख़राब है। एल्युमीनियम और प्रेशर कुकर डाइबिटीज कैंसर जेसे 48 रोगों का कारण है। चीनी नामक जहर 103 गम्भीर रोगों का कारण है।

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