Friday 14 July 2017

विचारधारा का सारा हल्ला कम्युनिष्टों ने मचाया ,नेहरु आदि ने अपनाया ,शेष लोग बौद्धिक असमर्थता के कारण उसकी नक़ल मारने में लग गए ...संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि प्रत्याशी की कोई विचारधारा होनी चाहिए .
वस्तुतः जो लोग Ideology के अर्थ में विचारधारा की बातें करते हैं ,उनको चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया जाए ,ऐसा विधेयक लाया जाना चाहिए क्योंकि संविधान स्वयं में एक विचारधारा की उपज है ,आप उसे स्वीकार करें ,तभी प्रत्याशी बन सकते हैं .अलग विचारधारा का क्या अर्थ .?
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Ideology २० वी शत्ताब्दी में ईसाइयत और चर्च के विरोध में कम्युनिष्टों द्वारा रच गया मुहावरा है , उसने यूरोप को ईसाइयत के चंगुल से निकालने में मदद दी ,यह भारत के सन्दर्भ में अर्थ हीन शब्द है
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        लेनिन, स्टॅलिन ,माओ कोई भी विचारक नहीं थे ,लफंगे ,अपराधी और हत्यारे अवश्य थे ,अपनी असलियत छिपाने और अपराधों को वैधता देने के लिए बन्दूक की नोक पर खुद को विचारक कहलाया .भारत में यूरो ख्रिस्त शिक्षा के शिकार लोग बिना डराए धमकाए ही ,कुछ पाने की लालसा में नेताओं को विचारक कहते हैं ,बदले में नौकरी ,संपादकी ,अकादमिक पद इनाम ,पुरस्कार आदि कोई पाता है ,कोई आशा में जीता मर जाता है 
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        जिन्हें राजनीतिक दलों के कार्यकर्त्ता विचारधारा (Ideology) कहते हैं ,वह कुछ लोगों की दिमागी रचना होती है ,उसका महत्त्व है पर देश के करोड़ों लोग ४ या ६ य१० -२० विचारधाराओं में से किसी एक को चुनें ,यह इच्छा ही लोकतंत्र विरोधी एवं मानव विरोधी ,धर्म विरोधी ,जीव विरोधी ,जीवन विरोधी है ,सनातन धर्म या सार्वभौम यम नियम ही उचित अनुचित की कसौटी हैं ,पार्टियाँ सत्ता और संपत्ति की योजना से बनती बिगडती हैं ,जो इतना सर्व विदित सत्य भी न जाने उस से बात करना संभव नहीं
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यूरोप के किसी देश में लोग अपने प्रधान मंत्री या नेता को विचारक नहीं कहते ,USA में ओबामा या ट्रम्प को कोई विचारक नहीं कहता ,वाशिंगटन ,लिंकन किसी को विचारक नहीं कहा गया ,वर्तमान दलों के चाटूकार मोहल्ले के नेता को भी विचारक कहते हैं .यह सोवियत कम्युनिष्टों की नक़ल में कांग्रेस ने शुरू किया ,अब हर दल यही नक़ल चला रहा है .

Rameshwar Mishra Pankaj

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