Sunday, 23 July 2017



रसूल का घरेलू व्यभिचार!
विश्व में भारतीय संस्कृति और परम्परा को महान माना जाता है .क्योंकि इस में स्त्रियों को देवी की तरह सम्मान दिया जाता है .यहाँ तक मौसी , बुआ चचेरी बहिन और पुत्र वधु पर सपने में भी बुरी दृष्टि रखने को महापाप और अपराध माना गया है . लेकिन इन्हीं कारणों से कोई भी समझदार व्यक्ति इसलाम को धर्म कभी नहीं मानेगा , क्योंकि मुहम्मद अपनी वासना पूर्ति के लिए कुरान का सहारा लेकर ऎसी ही स्त्रियों से सहवास करने को वैध बना देते थे , जिसका पालन मुसलमान आज भी कर रहे हैं .इस विषय को स्पष्ट करने के लिये कुरान की उन आयतों , हदीसों और उनकी ऐतिहासिक प्रष्ट भूमि को देखना होगा , कि मुहम्मद ने अपनी सगी मौसी , चचेरी बहिन और अपने दत्तक पुत्र की पत्नी से सहवास कैसे किया था . और इस पाप को कुरान की आयत बना कर कैसे जायज बना दिया .

इस्लामी परिभाषा में अपने शहर को छोड़ कर पलायन करने को हिजरत (Migration ) कहा जाता है . लगभग सन 622 में मुहम्मद को मक्का छोड़ कर मदीना जाना पडा था .उनके साथ कुछ पुरुष और महिलायें भी थी . साथ में उनकी प्रिय पत्नी आयशा भी थी . इसी घटना की प्रष्ट भूमि में कुरआन की सूरा अहजाब की वह आयतें दी गयी हैं जिनमे मौसी, चचेरी बहिन , और पुत्रवधु से शादी करना या उनसे सम्भोग करने को जायज ठहरा दिया गया है .ऐसी तीन औरतों के बारे में इस लेख में जानकारी दी जा रही है , जिन से मुहम्मद ने कुरान की आड़ में अपनी हवस पूरी की थी .

1.मौसी के साथ कुकर्म
मुहम्मद की हवस की शिकार होने वाली पहली औरत का नाम " खौला बिन्त हकीम अल सलमिया خولة بنت حكيم السلمية " था . और उसके पति का नाम "उसमान बिन मजऊम عثمان بن مظعون‎ " था . खौला मुहम्मद साहब की माँ की बहिन यानि उनकी सगी मौसी ( maternal aunt ) थी . इसको मुहम्मद ने अपना सहाबी बना दिया था . मदीना की हिजरत में मुहम्मद आयशा के साथ खौला को भी ले गए थे .यह घटना उसी समय की है इस औरत ने अय्याशी के लिए खुद को मुहम्मद के हवाले कर दिया था .यह बात मुसनद अहमद में इस प्रकार दी गयी है .
"खौला बिन्त हकीम ने रसूल से पूछा कि जिस औरत को सपने में ही स्खलन होने की बीमारी हो , तो वह औरत क्या करे , रसूल ने कहा उसे मेरे पास लेटना चाहिए "
"Khaula Bint Hakim al-Salmiya,asked the prophet about the woman having a wet dream, he said she should lay with me "

محمد بن جعفر قال حدثنا شعبة وحجاج قال حدثني شعبة قال سمعت عطاء الخراساني يحدث عن‫حدثنا """‬ ‫سعيد بن المسيب أن خولة بنت حكيم السلمية وهي إحدى خال ت النبي صلى ال عليه وسلم سألت النبي صلى ال‬ ‫عليه وسلم عن المرأة تحتلم فقال رسول ال صلى ال عليه وسلم لتغتسل‬Translation:26768 -

Musnad Ahmad (‫مسند أدحمد‬ )hadith 26768

तब खौला मुहम्मद साहब के पास सो गयी , और मुहम्मद साहब ने उसके साथ सम्भोग किया .

2.आयेशा ने खौला को धिक्कारा
जब आयशा को पता चला कि रसूल चुपचाप खौला के साथ सम्भोग कर रहे हैं तो उसने खौला को धिक्कारा और उसकी बेशर्मी के लिए फटकारा यह बात इस हदीस में दी गयी है ,
"हिशाम के पिता ने कहा कि खौला एक ऎसी औरत थी जिसने सम्भोग के लिए खुद को रसूल के सामने प्रस्तुत कर दिया था .इसलिए आयशा ने उस से पूछा ,क्या तुझे एक पराये मर्द के सामने खुद को पेश करने में शर्म नही आयी ? तब रसूल ने कुरान की सूरा अहजाब 33:50 की यह आयत सुना दी , जिसमे कहा था " हे नबी तुम सम्भोग के लिए अपनी पत्नियों की बारी ( Turn ) को टाल सकते हो .इस पर आयशा बोली लगता है तुम्हारा अल्लाह तुम्हें और अधिक मजे करने की इजाजत दे रहा है ."( I see, but, that your Lord hurries in pleasing you)
"حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ سَلاَمٍ، حَدَّثَنَا ابْنُ فُضَيْلٍ، حَدَّثَنَا هِشَامٌ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ كَانَتْ خَوْلَةُ بِنْتُ حَكِيمٍ مِنَ اللاَّئِي وَهَبْنَ أَنْفُسَهُنَّ لِلنَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم فَقَالَتْ عَائِشَةُ أَمَا تَسْتَحِي الْمَرْأَةُ أَنْ تَهَبَ نَفْسَهَا لِلرَّجُلِ
لِلرَّجُلِ فَلَمَّا نَزَلَتْ ‏{‏تُرْجِئُ مَنْ تَشَاءُ مِنْهُنَّ‏}‏ قُلْتُ يَا رَسُولَ اللَّهِ مَا أَرَى رَبَّكَ إِلاَّ يُسَارِعُ فِي هَوَاكَ‏.‏ رَوَاهُ أَبُو سَعِيدٍ الْمُؤَدِّبُ وَمُحَمَّدُ بْنُ بِشْرٍ وَعَبْدَةُ عَنْ هِشَامٍ عَنْ أَبِيهِ عَنْ عَائِشَةَ يَزِيدُ بَعْضُهُمْ عَلَى بَعْضٍ‏.‏

बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 48

3.आयेशा को ईर्ष्या हुई

कोई भी महिला अपने पति की दूसरी महिला से अय्याशी को सहन नहीं करेगी . आयशा ने रसूल से कहा कि मुझे इस औरत से ईर्ष्या हो रही है . यह बात इस हदीस में इस प्रकार दी गयी है
"आयशा ने कहा कि मैं रसूल से कहा मुझे उस औरत से जलन हो रही है जिसने सम्भोग के लिए खुद को तुम्हारे हवाले कर दिया . क्या एसा करना गुनाह नहीं है . तब रसूल ने सूरा अहजाब की 33:50 आयत सुना कर कहा इसमे कोई पाप नहीं है ,क्योंकि यह अल्लाह का आदेश है . तब आयशा ने कहा लगता है , तुम्हारे अल्लाह को तुम्हें खुश करने की बड़ी जल्दी है "(It seems to me that your Lord hastens to satisfy your desire. )

सही मुस्लिम -किताब 8 हदीस 3453

4.चचेरी बहिन से सहवास
मुहम्मद साहब के चाचा अबू तालिब की बड़ी लड़की का नाम "उम्मे हानी बिन्त अबू तालिब - أُمِّ هَانِئٍ بِنْتِ أَبِي طَالِبٍ " था .जिसे लोग "फकीतः और " हिन्दा " भी कहते थे .यह सन 630 ईसवी यानि 8 हिजरी की बात है . जब मुहम्मद साहब तायफ़ की लड़ाई में हार कर साथियों के साथ जान बचाने के लिए काबा में छुपे थे .लकिन मुहम्मद साहब चुपचाप सबकी नजरें चुरा कर उम्मे हानी के घर में घुस गए ,लोगों ने उनको काबा में बहुत खोजा .और आखिर वह उम्मे हानी के घर में पकडे गए .इस बात को छुपाने के लिए मुहम्मद साहब ने एक कहानी गढ़ दी और लोगों से कहा कि मैं यरुशलेम और जन्नत की सैर करने गया था .मुझे अल्लाह ने बुलवाया था .उस समय उनकी पहली पत्नी खदीजा की मौत हो चुकी थी वास्तव में .मुहम्मद साहब उम्मे हानी के साथ व्यभिचार करने गए थे .उन्होंने कुरान की सुरा अहजाब की आयत 33:50 सुना कर सहवास के लिए पटा लिया था .यह बात हदीस की किताब तिरमिजी में मौजूद है . जिसे प्रमाणिक माना जाता है . पूरी हदीस इस प्रकार है ,

"उम्मे हानी ने बताया उस रात रसूल ने मुझ से अपने साथ शादी करने का प्रस्ताव रखा , लेकिन मैं इसके लिये उन से माफी मागी . तब उन्होंने कहा कि अभी अभी अल्लाह की तरफ से मुझे एक आदेश मिला है ".हे नबी हमने तुम्हारे लिए वह पत्नियां वैध कर दी हैं ,जिनके मेहर तुमने दे दिये .और लौंडियाँ जो युद्ध में प्राप्त हो ,और चाचा की बेटीयाँ , फ़ूफ़ियों की बेटियाँ ,मामू की बेटियाँ,खालाओं की बेटियाँ और जिस औरत ने तुम्हारे साथ हिजरत की है ,और वह ईमान वाली औरत जो खुद को तुम्हारे लिए समर्पित हो जाये " यह सुन कर मैं राजी हो गयी और मुसलमान बन गयी "

" عَنْ أُمِّ هَانِئٍ بِنْتِ أَبِي طَالِبٍ، قَالَتْ خَطَبَنِي رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم فَاعْتَذَرْتُ إِلَيْهِ فَعَذَرَنِي ثُمَّ أَنْزَلَ اللَّهُ تَعَالَى ‏:‏ ‏(‏إنَّا أَحْلَلْنَا لَكَ أَزْوَاجَكَ اللاَّتِي آتَيْتَ أُجُورَهُنَّ وَمَا مَلَكَتْ يَمِينُكَ مِمَّا أَفَاءَ اللَّهُ عَلَيْكَ وَبَنَاتِ عَمِّكَ وَبَنَاتِ عَمَّاتِكَ وَبَنَاتِ خَالِكَ وَبَنَاتِ خَالاَتِكَ اللاَّتِي هَاجَرْنَ مَعَكَ وَامْرَأَةً مُؤْمِنَةً إِنْ وَهَبَتْ نَفْسَهَا لِلنَّبِيِّ ‏)‏ الآيَةَ قَالَتْ فَلَمْ أَكُنْ أَحِلُّ لَهُ لأَنِّي لَمْ أُهَاجِرْ كُنْتُ مِنَ الطُّلَقَاءِ ‏.‏ قَالَ أَبُو عِيسَى لاَ نَعْرِفُهُ إِلاَّ مِنْ هَذَا الْوَجْهِ مِنْ حَدِيثِ السُّدِّيِّ ‏.‏ "-هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ صَحِيحٌ -

तिरमिजी -जिल्द 1किताब 44 हदीस 3214 पे.522

5.पुत्रवधु से सहवास

मुहम्मद साहब के समय अरब में दासप्रथा प्रचलित थी .लोग युद्ध में पुरुषों , औरतों , और बच्चों को पकड़ लेते थे .और उनको बेच देते थे .ऐसा ही एक लड़का मुहम्मद साहब ने खरीदा था . जिसका नाम " जैद बिन हारिस - زيد بن حارثة‎ " था .(c. 581-629 CE) मुहम्मद साहब ने उसे आजाद करके अपना दत्तक पुत्र बना लिया था अरबी में . दत्तक पुत्र (adopt son ) को " मुतबन्ना " कहा जाता है . यह एक मात्र व्यक्ति है जिसका नाम कुरान सूरा अह्जाब 33:37 में मौजूद है .इसी लिए लोग जैद को " जैद मौला "या " जैद बिन मुहम्मद भी कहते थे .यह बात इस हदीस से साबित होती है ,

""حَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ، حَدَّثَنَا يَعْقُوبُ بْنُ عَبْدِ الرَّحْمَنِ، عَنْ مُوسَى بْنِ عُقْبَةَ، عَنْ سَالِمِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ، عَنْ أَبِيهِ، قَالَ مَا كُنَّا نَدْعُو زَيْدَ بْنَ حَارِثَةَ إِلاَّ زَيْدَ بْنَ مُحَمَّدٍ حَتَّى نَزَلَتْ ‏:‏ ‏(‏ ادعُوهُمْ لآبَائِهِمْ هُوَ أَقْسَطُ عِنْدَ اللَّهِ ‏)‏ ‏.‏ قَالَ هَذَا حَدِيثٌ صَحِيحٌ ‏.‏ "

तिरमिजी -जिल्द 1 किताब 46 हदीस 3814

कुछ समय के बाद् जैद की शादी हो गयी उसकी पत्नी का नाम "जैनब बिन्त जहश - زينب بنت جحش‎ " था वह काफी सुन्दर और गोरी थी . इसलिये मुहम्मद साहब की नजर खराब हो गयी .उन्होंने घोषित कर दिया कि आज से मेरे दत्तक पुत्र को मेरे नाम से नहीं उसके असली बाप के नाम से पुकारा जाय .और इसकी पुष्टि के लिये कुरान की सूरा 33:5 भी ठोक दी .यह बात इस हदीस से सबित होती है ,

6-रसूल की नीयत में पाप

जैनब को हासिल करने के लिए मुहम्मद साहब ने फिर कुरान का दुरुपयोग किया .और लोगों से जैद को मुहम्मद का बेटा कहने से मना कर दिया , ताकि लोग जैनब को उनके लडके की पत्नी नहीं मानें .
" जैनब कुरैश कबीले की सब से सुंदर लड़की थी .और जब अल्लाह ने अपनी किताब में जैद के बार में सूरा 33 की आयत 5 नाजिल कर दी , जिसमे कहा था कि आज से तुम लोग जैद को उसके असली बाप के नाम से पुकारा करो .,क्योंकि अल्लाह की नजर में यह बात तर्कसंगत प्रतीत लगती है .और यदि तुम्हें किसी के बाप का नाम नहीं पता हो ,तो उस व्यक्ति को भाई कह कर पुकारा करो ,

मलिक मुवत्ता -किताब 30 हदीस 212

7-कुरान की सूरा 33:5 की व्याख्या

कुरान की सूरा अहजाब की आयत 5 के अनुसार दत्तक पुत्र जैद को असली पुत्र का दर्जा नहीं दिया गया , इस आयत की व्याख्या यानी तफ़सीर "जलालुद्दीन सुयूती - جلال الدين السيوطي‎ " ने की है . इनका काल c. 1445–1505 AD है .इन्होने कुरान की जो तफ़सीर की है ,उसका नाम " तफ़सीर जलालैन -تفسير الجلالين " है .इसमे बताया गया है कि रसूल ने जैद को अपने पुत्र का दर्जा नहीं देने के लिए यह तर्क दिए थे ,1 .दत्तक पुत्र रखने की परंपरा अज्ञान काल है , अब इसकी कोई जरुरत नहीं है .2 . मैंने जिस समय जैद को खरीदा था ,उस समय अल्लाह ने मुझे रसूल नही बनाया था .3. लोग जैद को मेरा सगा बेटा मान लेते थे . जिस से मेरी बदनामी होती थी .4. जैद ने मुझ से जैनब को तलाक देने का वादा कर रखा है .

{ وَإِذْ تَقُولُ لِلَّذِيۤ أَنعَمَ ٱللَّهُ عَلَيْهِ وَأَنْعَمْتَ عَلَيْهِ أَمْسِكْ عَلَيْكَ زَوْجَكَ وَٱتَّقِ ٱللَّهَ وَتُخْفِي فِي نَفْسِكَ مَا ٱللَّهُ مُبْدِيهِ وَتَخْشَى ٱلنَّاسَ وَٱللَّهُ أَحَقُّ أَن تَخْشَاهُ فَلَمَّا قَضَىٰ زَيْدٌ مِّنْهَا وَطَراً زَوَّجْنَاكَهَا لِكَيْ لاَ يَكُونَ عَلَى ٱلْمُؤْمِنِينَ حَرَجٌ فِيۤ أَزْوَاجِ أَدْعِيَآئِهِمْ إِذَا قَضَوْاْ مِنْهُنَّ وَطَراً وَكَانَ أَمْرُ ٱللَّهِ مَفْعُولاً }

Tafsir al-Jalalayn - (تفسير الجلالين )Sura -ahzab 33:5

इन्हीं कुतर्कों के आधार पर लगभग सन625 ईसवी में मुहम्मद साहब ने अपने दत्तक पुत्र जैद की पत्नी से शादी कर डाली .यानी जैनब के साथ व्यभिचार किया .
देखिये विडिओ -Prophet Muhammad lusts after & steals his adopted son's wife Pt. 2

http://www.youtube.com/watch?v=wp3pMgmGuVo

अपने निकट सम्बन्ध की स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने को इनसेस्ट (incest ) कहा जाता है , विश्व के सभी धर्मों और हर देश के कानून में इसे पाप और अपराध माना गया है . लेकिन मुहम्मद साहब अपनी वासना पूर्ति के लिए तुरंत कुरान की आयत सूना देते थे . और इस निंदनीय काम को जायज बना देते थे .कुरान की इसी तालीम के कारण हर जगह व्यभिचार और बलात्कार हो रहे हैं .क्योंकि मुसलमान इन नीच कर्मों को गुनाह नहीं मानते ,बल्कि रसूल की सुन्नत मानते हैं .
Vithal Vyas
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मुसलमान मोहम्मद के चरित्र चित्रण से क्यों डरते हैं?
मोहम्मद का कार्टून बना तो पूरी दुनिया के मुसलमानों ने अपनी-२ जगहों पर बलवा किया | दुनिया को इतिनी बुरी तरह से बदलने वाला व्यक्ति रहस्य बना हुआ हैं | कोई कुछ जानता ही नहीं उसके बारे में | प्रश्न तो ये उठता हैं के इसाई ईशा मसीह के नाटक मंच पर दोहराते हैं ताकि उनके अच्छे गुण अन्य लोग जान सके और ले सके | हिंदू राम लीला रचाते हैं ताकि राम के अच्छे कृत्यों को दिमाग में रख सके | अच्छाई की बुराई पर जीत | पर मोहम्मद के नाम पर ऐसा क्या की उनका कोई चित्र नहीं हो सकता | मुस्लिम कहते हैं इस्लाम में बुत परस्ती मना हैं इसलिए | बुत परस्ती मना होने से चित्रण का क्या लेना देना ? क्या काबा मंदिर (उनके लिये मस्जिद) की तस्वीर रखना नहीं गलत हैं पर रखते हैं | तस्वीर रखने से उसकी बुत परस्ती थोड़े हो जाती हैं बल्कि अपने आदर्श के कृत्यों की याद बनी रहती हैं | जैसे आर्य समाजी ऋषि दयानंद की तस्वीर रखते हैं | दूसरा तर्क ये दे सकते के इस से उनका अपमान होगा | मान-अपमान तो जीवित लोगो का होता हैं अगर ये भेद नहीं पता उन्हें तो बुत परस्ती भी नहीं पता | इसी लिए वे हजरे अस्वाद को सरक्षित करे हुए हैं और बुत परस्ती के विरोध में होने का ढोंग करते हैं |

वास्तविक बात तो ये हैं के मोहम्मद का कोई चरित्र ही नहीं था जिसका चित्रण किया जाए | क्या दिखाएंगे मुसलमान की कैसे मोहम्मद के दादा अबू मत्लिब काबा मंदिर का सरक्षण करते थे तीर्थ यात्रियों का प्रबंध करते थे | किस प्रकार मोहम्मद को बचपन में मिर्गी के दौरे पड़ते थे | कैसे उसने अपने से १५ वर्ष आयु में बड़ी और अरब की अमीर बुडिया से शादी की | उस अमीर बुडिया के मरते ही किस प्रकार ५१ वर्षीया मोहम्मद ने ६ वर्ष की बच्ची से शादी(माफ़ी चाहूँगा इस गंदे कृत्य को मुस्लिम शादी कहते हैं) की | किस प्रकार ९ वर्ष की होने पर उस बच्ची से सम्भोग किया | अपनी मू बोले बेटे की बीवी से शादी की और कैसे भिन्न भिन्न ३१ से ऊपर औरते रखी | कैसे मोहम्मद ने उम् किर्फा की वृद्ध नेत्रानी बनू फस्रह के हाथ पावो को २ उटो से बंधवा के फड़वा दिया | ऊट की चोरी करने वाले ८ लोगो के हाथ पाँव कटवा दीये | वो ऊट जो खुद मोहम्मद ने चुराए थे |

बनू कुइनैका, बनू नादिर, बनू कुरैज़ा के लोगो पर कितने अमानुषी अत्याचार किये | दूनिया का सबसे पहला इस्लामी आतंकवादी मोहम्मद ही तो था जो ये सब देखने पर सब समझ जाएगा | जो मोहम्मद को बचपन से जानता था उसका चाचा जिसने ना जाने कितनी बार उसकी जान बचाई पर मरते दम तक कभी कुरैशो का मजहब नहीं छोड़ा और इस्लाम नहीं स्वीकार क्यों की उसे पता था के उसका भतीजा पागल हैं | खुद आयशा ने हफ्सा के साथ मिल कर मोहम्मद को जेहर दे दिया कहते हैं मोहम्मद फिर एक बच्ची से शादी की योजना बना रहा था | फिर लाभ तो आयेशा के बाप अबू बक्र को मिला पहला खलीफा वही हुआ | पर बचा कोई नहीं खानदान में दिया जलने वाला कोई नहीं रहा | आयेशा बुरी तरह क़त्ल कर दी गई | जिसने कुरान लिखी उसे खुद मोहम्मद ने मरवा दिया | खैर इतना शैतानियत जो भी लिखेगा मरेगा तो हैं ही | पूरी दुनिया आज इस्लामीकरण के खतरे के तले डगमगा रही हैं, बेकसूर मारे जा रहे हैं | इन सब का कारण मोहम्मद था जो कोई भी ये सब देख लेगा उसे समझने में एक पल नहीं लगेगा |

पर मोहम्मद को तो ऐसा हौवा बना रखा हैं के उसके बारे में तो बात करनी ही नहीं | वो इसलिए क्यों की खुद मोहम्मद ने उन सबको बुरी तरह क़त्ल करवा दिया जिसने भी उसके पैगम्बर होने का प्रमाण माँगा | खुद मोहम्मद ने ना जाने कितनी बार अपनी बात से पलटा हैं इसका प्रमाण कुरान की विपरीत बाते हैं | इसी लिए मुसलमान मोहम्मद को छुपा के रखते हैं | मोहम्मद ने ज़न्नत में खुद की सिफारिश का पेच भी फसा रखा हैं ताकि कोई उसके गलत कामो पर ऊँगली ना उठाए | पर खुद जिनको भी ये बाते पता चलती हैं उनका मानवीय पक्ष इस्लाम छुडवा देता हैं | पर जो वाकई शैतान हैं वो सही जगह हैं क्यों के दुनिया के सारे गलत काम इस्लाम में जायज हैं अगर वो गैर मुसलमान के साथ किये जाए | तो कोई क्यों लूटने, बलात्कार, हत्या, झूठ बोलने की इजाजत छोड़ेगा अगर वह अपराधी परवर्ती का हैं |

एक बात और के मोहम्मद देखने में बदसूरत था हदीसो की माने तो |जिस व्यक्ति ने उसकी तस्वीर बने मोहम्मद ने उसे देश निकाला दे दिया | औरते उस से नफरत करती थी | शायद इसी लिए वो औरतो का बलात्कार करता था | बात दिखने की नहीं हैं बात तो कर्मो की हैं जो इतने गलत थे की उनको छुपा के रखने में ही इस्लाम की भलाई हैं |

5 जुलाई 

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