मराठी जासूस जिसने औरंगजेब से 80 किले वापिस ले लिए थे – बालाजी विश्वनाथ ...
बालाजी विश्वनाथ (Balaji Vishwanath) मराठा साम्राज्य के पहले पेशवा थे जिन्होंने पेशवाई की नीव रखकर मराठा साम्राज्य को नई शक्ति दी जब मराठा साम्राज्य शिवाजी की मृत्यु के बाद कमजोर पड़ गया था | छत्रपति साहू के शाषनकाल में उन्होंने गृह युद्दो को जीतकर मुगलों को अनेक बार परास्त किया ,इसी वजह से उन्हें “मराठा साम्राज्य का द्वितीय स्थापक” भी माना जाता है | उनके बाद उनके पुत्र पेशवा बाजीराव ने मराठा साम्राज्य को आधे भारत में फैला दिया था |
बालाजी विश्वनाथ (Balaji Vishwanath) का जन्म कोंकणस्थ ब्राह्मण परिवार में हुआ था | उनका परिवार महाराष्ट्र के तटीय कोंकण इलाके से आया था | बालाजी (Balaji Vishwanath) के बड़े भाई तानोजी सिद्दी के के देशमुख के लिए काम करते थे और उन्होंने ही बालाजी को सर्वप्रथम चिपलून के नमक निर्माण स्थल पर मुनीम का काम दिलवाया था | इसके बाद पश्चिम घात में काम की तलाश के लिएय निकले और कई मराठा सेनापतियो के नेतृत्व में सैनिक के रूप में भी कार्य किया | छत्रपति सम्भाजी के शाषनकाल में बालाजी विश्वनाथ (Balaji Vishwanath) ने मराठा साम्राज्य में प्रवेश किया था | मराठा साम्राज्य में उनका मुख्य कार्य रामचन्द्र पन्त के नेतृत्व में राजस्व अधिकारी और लेखक का कार्य था | इसके बाद वो जंजीरा के मराठा सेनापति धनाजी जाधव के नेतृत्व में मुनीम बने | 1699 से 1702 के बीच बालाजी ने पुणे में उप सूबेदार के रूप में कार्य किया और उसके बाद 1704 से 1707 के मध्य दौलताबाद में उपसूबेदार बने | जब धनाजी की मृत्यु हुयी तब बालाजी को अपने आप को इमानदार और योग्य अधिकारी प्रमाणित किया | इसी कारण मुगलों से मुक्त हुए छत्रपति साहू ने उनकी योग्यता से प्रभावित होकर उन्हें अपना सहायक नियुक्त किया |
छत्रपति शिवाजी की मृत्यु के बाद उनके दो पुत्र सम्भाजी और राजाराम ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ अपना अभियान जारी रखा | बादशाह औरंगजेब ने 1686 में दक्कन में प्रवेश किया ताकि वो अनुभवहीन मराठा साम्राज्य का पतन कर सके | औरंगजेब ने अगले 21 वर्षो तक लगातार दक्कन में मराठो के खिलाफ़ लगातार युद्ध जारी रखा | सम्भाजी की निर्मम हत्या और राजाराम की जल्द ही मौत हो जाने के बाद राजाराम की विधवा पत्नी ताराबाई ने मराठा साम्राज्य को सम्भाला क्योंकि उस वक्त सम्भाजी के पुत्र साहू को कमउम्र में ही मुगलों ने बंदी बना लिया था | 1707 में अहमदनगर में 88 वर्ष की उम्र में औरंगजेब की मौत हो गयी और उसकी मौत के साथ मुगल सेना भी बिखर गयी और खजाना भी खाली हो चूका था | उत्तराधिकारी के युद्ध में मुगल साम्राज्य पर राजकुमार मुअज्जम को बहादुर शाह नाम के साथ मुगल सिंहासन पर बिठाया गया |
औरंगजेब की मौत के बाद दक्कन के मुगल सेनापति ने साहू को अपनी कैद से मुक्त कर दिया ताकि उस वक्त सत्ता के लिए मराठो में आपसी संघर्ष शुरू हो जाए | साहू के समर्थक और ताराबाई के बीच फिर से सत्ता के लिए संघर्ष शुरू हो गया |ताराबाई ने मराठा सेनापति धनाजी जाधव को शाहू पर आक्रमण करने का आदेश दिया | धनाजी जाधव ने बालाजी विश्वनाथ को शाहू के साथ गुप्त मुलाक़ात करवाकर अपनी प्रमाणिकता सिद्ध की | धनाजी की सेना पुणे जिले में शाहू की सेना के साथ आमने सामने हुयी लेकिन शाहू पर आक्रमण करने के बजाय धनाजी ने उन्हें मराठा साम्राज्य का सही उत्तराधिकारी घोषित कर दिया | धनाजी का बालाजी विश्वनाथ (Balaji Vishwanath) के साथ आत्मविश्वास के कारण धनाजी के पुत्र चन्द्रसेन जाधव को उनसे जलन होने लगी | छत्रपति शाहू का जब 1708 में राजतिलक हुआ तब बालाजी विश्वनाथ को मुतालिक बनाया गया और उन्हें मराठा दरबार में जगह दी गयी |
जून 1708 में धनाजी जाधव की मृत्यु हो गयी तब शाहू ने धनाजी के पुत्र चन्द्रसेन जाधव को सेनापति नियुक्त किया लेकिन ताराबाई की साजिश की वजह से चन्द्रसेन और बालाजी के बीच दुश्मनी शुरू हो गयी | बात इतनी बढ़ गयी कि चन्द्रसेन ने बालाजी पर हमला करने के लिए बालाजी के ही एक कर्मचारी को नियुक्त किया , तब बालाजी पुरन्दर के किले में भाग गये | चन्द्रसेन ने पुरन्दर के किले को चारो तरफ से घेर लिया , जहा से भी बालाजी बचकर निकल गये और पांडवगढ़ भाग गये |
सतारा पहुचने पर शाहू ने बालाजी विश्वनाथ को अपनी शरण में लिया और बालाजी ने चन्द्रसेन के खिलाफ अभियोग लगा दिया | शाहू की आज्ञा मानने के विपरीत चन्द्रसेन ने ताराबाई के साथ मिलकर देशद्रोह कर दिया | अब अपने अनुभवी सेनापतियो के होने के बावजूद शाहू ने बालाजी विश्वनाथ को नई सेना बनाने को कहा | इसके साथ ही बालाजी को मराठा सेना के सेनाकार्त की उपाधि दी गयी |
बालाजी (Balaji Vishwanath) ने कोल्हापुर में ताराबाई की सेना को हरा दिया | अब बालाजी ने राजाराम की दुसरी पत्नी राजसबाई को उनके पुत्र सम्भाजी को कोल्हापुर के सिंहासन पर बिठाने के लिए उकसाया ताकि ताराबाई के पुत्र शिवाजी द्वितीय को सत्ता से हटाया जा सके | इसके साथ ही कोल्हापुर भी शाहू के नेतृत्व में आ गया | इसके बाद शाहू ने बालाजी की नेतृत्व शक्ति को देखते हुए हुए पेशवा नियुक्त किया , जो वर्तमान में प्रधानमंत्री की तरह होता है | सिंहासन पर छत्रपति शाहू ही बैठते थे लेकिन युद्ध के लिए बालाजी अपनी सेना के साथ जाते थे |
दिल्ली से सतारा लौटते समय बालाजी ने मुगलों की बंदी बनी हुयी छत्रपति शाहू की माँ येसुबाई , पत्नी सावित्रीबाई और सौतेले भाई मदन सिंह को छुडवाया | बालाजी (Balaji Vishwanath) का विवाह राधाबाई से हुआ था और उनके दो पुत्र (बाजीराव और चिमनाजी )और दो पुत्रिया (भिऊबाई और अनुबाई) थी | 11 मार्च 1719 में बालाजी (Balaji Vishwanath) ने अपने पुत्र बाजीराव का विवाह काशीबाई से करवाया | 12 अप्रैल 1720 में बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु हो गयी | उनकी मृत्यु के बाद छत्रपति शाहू ने बाजी राव को नया पेशवा नियुक्त किया |
No comments:
Post a Comment