भारत के इस्लामी जेहादियों तथा पाकिस्तानियों ने फिल्मो तथा संगीत के जरिये भारत के समाज तथा हिन्दुओ के साथ क्या क्या किया .कभी सोचा है आप सबने !!!
#कुमार_शानू_उदित_अभिजीत_शान_सुखविंदर__सोनू_निगम_अरिजीत
आपने कभी ध्यान दिया है कि फ़िल्मों मे 92 के बाद से गायकों का करियर ग्राफ़ कैसा रहा है ?? याद है कुमार शानू जो करियर मे पीक पर चढ़कर अचानक ही , धुँध में खो गये । फिर आये अभिजीत, जिन्हे टाप पर पहुँचकर अचानक ही काम मिलना बद हो गया । उदित नारायण भी उदय होकर समय से पहले अस्त हो गये। उसके बाद सुखविंदर अपनी धमाकेदार आवाज से फलक पर छा गये और फिर अचानक ही ग्रहण लग गया । उसके बाद आये शान, और शान से बुलंदियों को छूने के अचानक ही कब नीचे आये पता ही नही लगा। फिर सोनू निगम कब काम मिलना बंद हुआ, लोग समझ ही नही पाये । उसके बाद अरिजीत जिनकी मखमली आवाज ने दिलो मे जगह बनानी शुरू ही की कि सलमान ने उनहे पब्लिकली माफ़ी माँगने के बाद भी 'जग घूमया' जैसा गाना गवाया नही और धीरे धीरे उसका करियर खतम करने की साज़िश चल रही है। सारे ही गायकों को असमय बाहर का रास्ता दिखा दिया गया ।
इसके उल्टा पहले चीख़ कर गाने वाले, क़व्वाली गायक नुसरत फ़तेह अली खान क़व्वाली गाने के लिये बुलाया जाता है, और पाकिस्तानी गायकों के लिये दरवाज़े खोल दिये जाते हैं। उसके बाद राहत फ़तेह अली खान आते हैं और बॉलीवुड में उन्हे लगातार काम मिलने लगता ह और बॉलीवुड की वजह से सुपरहिट हो जाते है। फिर नये स्टाईल के नाम पर आतिफ़ असलम आते हैं जिनकी आवाज को ट्यूनर मे डाले बग़ैर कोइ गाना नही निकलता है, उन्हे एक के बाद एक अच्छे गाने मिलने लगते हैं । अली जाफ़र जैसे औसत गायक को भी काम मिलने मे कोई दिक़्क़त नही आती । धीरे धीरे पाकिस्तानी हीरो हीरोइन को भी बॉलीवुड मे लाकर स्थापित किया जाने लगा और भारतियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाने लगा। बुरा हो हो उड़ी हमले के बाद बैक डोर से चुपके से उन्हे लाने की चाल, कुछ भारतियों की नज़र मे आ गया और उन्होंने निंदा करने की माँग करने की, हिमाक़त कर डाली जो उन्हे नागवार गुज़री और वो पाकिस्तान वापस चले गये ।
क्या आपको लगता है कि यह महज इत्तिफ़ाक़ है तो आप से बडा भोला कोइ नही । पूरा बॉलीवुड डी कंपनी या पी कंपनी (पाकिस्तान) के इशारों पर चलता है, और इसका इलाज है है टोटल बॉयकाट। कुछो बूझे का ???
#I_support_Sonu_Nigam
आपने कभी ध्यान दिया है कि फ़िल्मों मे 92 के बाद से गायकों का करियर ग्राफ़ कैसा रहा है ?? याद है कुमार शानू जो करियर मे पीक पर चढ़कर अचानक ही , धुँध में खो गये । फिर आये अभिजीत, जिन्हे टाप पर पहुँचकर अचानक ही काम मिलना बद हो गया । उदित नारायण भी उदय होकर समय से पहले अस्त हो गये। उसके बाद सुखविंदर अपनी धमाकेदार आवाज से फलक पर छा गये और फिर अचानक ही ग्रहण लग गया । उसके बाद आये शान, और शान से बुलंदियों को छूने के अचानक ही कब नीचे आये पता ही नही लगा। फिर सोनू निगम कब काम मिलना बंद हुआ, लोग समझ ही नही पाये । उसके बाद अरिजीत जिनकी मखमली आवाज ने दिलो मे जगह बनानी शुरू ही की कि सलमान ने उनहे पब्लिकली माफ़ी माँगने के बाद भी 'जग घूमया' जैसा गाना गवाया नही और धीरे धीरे उसका करियर खतम करने की साज़िश चल रही है। सारे ही गायकों को असमय बाहर का रास्ता दिखा दिया गया ।
इसके उल्टा पहले चीख़ कर गाने वाले, क़व्वाली गायक नुसरत फ़तेह अली खान क़व्वाली गाने के लिये बुलाया जाता है, और पाकिस्तानी गायकों के लिये दरवाज़े खोल दिये जाते हैं। उसके बाद राहत फ़तेह अली खान आते हैं और बॉलीवुड में उन्हे लगातार काम मिलने लगता ह और बॉलीवुड की वजह से सुपरहिट हो जाते है। फिर नये स्टाईल के नाम पर आतिफ़ असलम आते हैं जिनकी आवाज को ट्यूनर मे डाले बग़ैर कोइ गाना नही निकलता है, उन्हे एक के बाद एक अच्छे गाने मिलने लगते हैं । अली जाफ़र जैसे औसत गायक को भी काम मिलने मे कोई दिक़्क़त नही आती । धीरे धीरे पाकिस्तानी हीरो हीरोइन को भी बॉलीवुड मे लाकर स्थापित किया जाने लगा और भारतियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाने लगा। बुरा हो हो उड़ी हमले के बाद बैक डोर से चुपके से उन्हे लाने की चाल, कुछ भारतियों की नज़र मे आ गया और उन्होंने निंदा करने की माँग करने की, हिमाक़त कर डाली जो उन्हे नागवार गुज़री और वो पाकिस्तान वापस चले गये ।
क्या आपको लगता है कि यह महज इत्तिफ़ाक़ है तो आप से बडा भोला कोइ नही । पूरा बॉलीवुड डी कंपनी या पी कंपनी (पाकिस्तान) के इशारों पर चलता है, और इसका इलाज है है टोटल बॉयकाट। कुछो बूझे का ???
#I_support_Sonu_Nigam
लेख साभार Swati Gupta
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