CIA ने किया खुलासा, भारत के खिलाफ पाकिस्तान को कुछ इस तरह तैयार कर रहा था चीन ...
चीन और पाकिस्तान के बीच गहरे आपसी संबंध हैं। लेकिन हाल में ही अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) ने कुछ दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं जिनके अनुसार चीन पाकिस्तान की ये प्रगाढ़ता कोई नई नहीं बल्कि बेहद पुरानी है।
इन दस्तावेजों से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि चीन और पाकिस्तान के संबंध ना केवल पिछले कुछ दशकों से लगातार गहराते जा रहे हैं, बल्कि यह भी पता चलता है कि चीन अपने ‘सदाबहार दोस्त’ पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था।
CIA द्वारा जारी किये गये इन दस्तावेजों में दावा किया गया है कि, चीन अमेरिका के साथ अपने परमाणु सहयोग को भी दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटने वाला था।
दस्तावेज के अनुसार, पाकिस्तान के नेताओं के साथ एक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद चीन ने पाक से कहा था कि वह अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी के लिए परमाणु प्रतिष्ठानों की जानकारी साझा ना करे।इस समझौते में गैर-सैन्य परमाणु तकनीक, रेडियो-आइसोटोप्स, मेडिकल रिसर्च और सिविलियन पावर टेक्नोलॉजी जैसे विषयों पर फोकस किया गया था।
अमेरिका का कहना है कि इस समझौते के तहत चीन पाकिस्तान के असंवेदनशील इलाकों में एक न्यूक्लियर एक्सपोर्ट मार्केट को विकसित करना चाहता था। उससे इस कदम से पाकिस्तान के परमाणु ढांचे को लेकर अमेरिका जैसे देशों की चिंता बढ़नी स्वाभाविक थी।
अमेरिका के मुताबिक, इस बात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है कि चीन को लगा होगा कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी की आड़ में गुपचुप ढंग से पाकिस्तान को मदद पहुंचाना आसान रहेगा। वर्ष 1983-84 तक अमेरिका को पता चल चुका था कि चीन-पाकिस्तान परमाणु सहयोग की जड़ें बहुत गहरी हैं।
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि, अमेरिकी कांग्रेस की एक समिति को 1983 में दी गयी जानकारी में कहा गया था कि अमेरिका के पास चीन और पाकिस्तान के बीच परमाणु हथियारों के निर्माण को लेकर चल रही बातचीत के सबूत हैं।
सीआईए ने दावा किया है कि चीन ने लोप नॉर रेगिस्तान में किए अपने चौथे परमाणु परीक्षण के बाद परमाणु बम का डिजाइन पाकिस्तान को दिया था। अमेरिका का मानना है कि इस परीक्षण के दौरान एक ‘वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी’ भी मौजूद था।
No comments:
Post a Comment