अमर प्रेम की मिसाल .
प्रद्युम्न कुमार महानंदीया यानी पीके महानंदीया ..पीके मूलतः उड़ीसा के रहने वाले थे और पेंटर थे .. दिल्ली के कनाट प्लेस पर रोड के किनारे वो पोट्रेट बनाते थे .. उनके पास तमाम विदेशी सैलानियों की लाइन लगी रहती थी जो उनसे अपना पोट्रेट बनवाते थे ..
एक दिन स्वीडन की एक युवती Charlotte Von उनके पास अपनी पोट्रेट बनवाने आई .. उन्होंने उसका पोट्रेट बनाया ..फिर पैसे लिए .. उन्हें बस इतना ही पता था की ये युवती स्वीडन की है .. फिर वो युवती चली गयी ..
लेकिन "लव एट फर्स्ट साईट" यानी जैसे पहली नजर का प्यार .. पीके को उस युवती में कुछ ऐसा जादू किया की वो उसे बहुत चाहने लगे ..
फिर 22 जनवरी 1977 को पीके ने स्वीडन का बाई रोड वीजा लिया ..और एक साईकिल खरीदी ..और दिल्ली से स्वीडन साईकिल के ही निकल चले ..पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया, टर्की, आस्ट्रिया, युगोस्लाविया, जर्मनी होते हुए स्वीडन ..
वो हर रोज 100 से 70 किमी तक साइकिल चलाते थे .. रास्ते में अपनी पेंटिंग या लोगो की पोट्रेट बनाकर कुछ पैसे भी कमाते जाते थे .. और कभी किसी के बागीचे में तो पार्क में सो जाते थे .. उस समय दुनिया में आतंकवाद नही था .. उन्हें अपनी यात्रा में सबसे ज्यादा मजा अफगानिस्तान को पार करने में आया .. अफगानी लोग उन्हें जगह जगह रोकते थे ..और उन्हें खाने के लिए खूब सारे सूखे मेवे देते थे ..
आख़िरकार 28 मई 1977 को वो स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम पहुंचे ... उनकी इस यात्रा के बारे में स्विडिश मीडिया ने खूब लिखा .. ये खबर Charlotte Von तक पहुंची .. वो उन्हें मिली .. और उसे यकीन नही हुआ की कोई प्यार में ऐसा भी कर सकता है .. दोनों ने शादी कर ली .. उनकी शादी में खुद स्विडिश राज परिवार और तमाम बड़े मंत्री भी शामिल हुए थे ..
आज उनके दो बच्चे है .. पीके को गिफ्ट में तुरंत की स्वीडन की नागरिकता दे दी गयी थी .. दोनों स्वीडन में बेहद कामयाब लाइफ जी रहे है ..
अपनी शादी के पचीसवीं साल गिरह पर ये जोड़ा स्वीडन से भारत साइकिल पर आया था .. उनका दिल्ली में खूब सम्मान हुआ था
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