Anti Romeo Squad
यूपी में नारी अस्मिता की रक्षा के लिए anti romeo squad का अभियान भी किसी युद्ध से कम नहीं.....
संस्कृति का विकृती से, संयम का व्याभिचार से, संस्कार का कुसंस्कार से, धर्म का अधर्म से, शिष्टता का धृष्टता से, पूर्वात्य का पाश्चात्य से और अस्मिता का अपमान से युद्ध ही तो है.....
#निश्चित तौर पर भारतीय स्त्रीत्व को निर्लज्जता की पराकाष्ठा पर पंहुचा कर, उसे बाजारू बना ;नारी केंद्रीत भारतीय संस्कृति की आत्मा को नष्ट करने का कई रूपों में प्रयास स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से चल रहा है।
भारतीय संस्कृति के विनाश में इस्लाम की आक्रामकता या पाश्चात्य की दैहिक निर्लज्जता की जितनी भूमिका नहीं रही। उससे कहीं ज्यादा नुकसान धर्म को अफीम बताने वाले कामी वामपंथ के कथित व्याभिचारी विचारकों की रही.....कालांतर में मैकाले के मानसपुत्रों की कर्मभूमि JNU, FTII जैसी संस्थाएं बन गई जहाँ सिगरेट के धुंए उड़ाते बिना नहाये दाढ़ी बढ़ाकर इसके-उसके साथ और इसके-उसके बिस्तर में सोते हुए युवक-युवतियों में भारतीय धर्म और दर्शन को कमतर आंक कर प्रगतिवादी चिंतक बनने की होड़ सी लग गई...
सारी मर्यादाओं को समाप्त कर दिया। वर्जना की सारी दीवारें भरभरा कर गिर गई। इन कथित प्रगतिशीलकों ने महिषासुर को आराध्य और महिषासुर मर्दिनी को खलनायिका बना दिया। अकबर में आदर्श नेतृत्व और जोधाबाई में स्त्री स्वातंत्र्य,अर्धनग्न युवतियों में लिबर्टी, लिव इन रिलेशनशिप में परिवार का आदर्श तो सन्नी लियोन जैसे पोर्न स्टार में नारी विकास देखने लगा, राम में अमानुषिक अतिवादी देखने लगा तो आतंकवादी इन्हें आजादी के सिपाही तो शहीद देश के दुश्मन दिखने लगे.....
#अमेरिकी खुफिया एजेंसी सी.आई.ए. विकासशील देशों को अस्थिर करने के लिए आपरेशन कोल्ड वार चलाती है जिसमें ऐसे ही प्रगतिशील एवं जनवादी संगठनों का मोहरे की तरह इस्तेमाल करती है। भारत में बहुत से NGO को अवैध फंडिंग कर देश को अस्थिर करने के अभियान का अवैधानिक हिस्सा प्रशांत भूषण की CPIL संस्था भी रही.....इसी कोल्ड वार की अवैध संतान प्रशांत भूषण जिस पर रोमिला थापर और रामशरण शर्मा जैसे लेखकों का प्रभाव है
रोमियो है कौन? और आया कहाँ से है ? शेक्सपियर ने इसकी कथा वस्तु इटली से ली थी, जिसमें दो खानदानों के आन की लड़ाई चित्रित की गई है और प्रमुख बात यह है कि पूरी कहानी काल्पनिक है इसे सामान्य श्रेणी का ही नाटक माना जाता है क्योंकि इसमें प्रेम की गहरी आत्मानुभूति तथा संवेदना का अभाव है। यदि इस नाटक में कुछ है तो वो है दैहिक मांसलता का चित्रण और वासना की मुखरता जो शेक्सपियर अपने अन्य नाटकों में चित्रित नहीं कर पाया है.....
#नाटक में रोमियो शुरू से चपल और लंपट है, उसकी दृष्टि में देैहिक अतृप्ति और हवस ही सब कुछ है । उसका प्रेम कहीं भी आत्मिक नहीं है, सबकुछ जिस्म के ही स्तर पर है जैसा आजकल के रोड छाप लंपटो में होता है। लंपट चित्रण में शेक्सपियर ने अद्भुत कौशल का जबकि प्रेमानुभूति में एकदम असफलता का प्रदर्शन किया है।इतने द्विअर्थी और अश्लील शब्द किसी निम्नतम काव्य में ही हो सकते हैं आप उनका अनुवाद पढ़ भी नहीं सकते , वास्तव में यह नाटक पैसे कमाने की दृष्टि से ही लिखा गया था.....
#इसके उलट प्रभु श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवन चरित्र, उनका ईश्वरत्व सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है, चाहे आप उनके जीवन के किसी भी पहलू का अध्ययन करें। असुरों के वध का प्रसंग हो, चाहे गोवर्धन पर्वत कनिष्ठिका में उठाकर ब्रजवासीयों की रक्षा का प्रसंग हो, चाहे कालिया नाग दहन का प्रसंग हो, चाहे गोकुल के ग्वालों को संगठित कर आर्थिक नाकेबंदी का प्रसंग हो, चाहे अत्याचारी राजा से प्रजा हित हो, चाहे जरासंध के कारावास से राजकुमारीयों की मुक्ति से लेकर उनका वरण कर संरक्षण का प्रसंग हो, चाहे चीरहरण से लाज रक्षा का प्रसंग हो, चाहे गुरु दक्षिणा प्रसंग हो, चाहे कौरव पांडव संधि प्रयास प्रसंग हो,चाहे समरभूमि पर युद्धस्व भारत की हुंकार हो और चाहे अंत में बिना किसी अभिमान के एक सामान्य मनुष्यों की तरह मृत्यु को अंगीकार करने का प्रसंग हो.....
#क्या कहीं भी रोमियो ठहरता है कृष्ण के सम्मुख, कहाँ प्रेम की जीवंत अद्वैत मूर्ति कृष्ण और कहाँ जिस्म की फंतासी रोमियो, कहाँ दुष्ट काल यवन संहारक कृष्ण और कहाँ गल्प में विषयी विष भक्षक होकर मरने वाला रोमियो, कहाँ खंडित मन को अखंडित कर जीवनदाता कृष्ण और कहाँ वासना में खंड खंड होकर जीवन नष्ट करने वाला रोमियो, कहाँ बंशी की तान पर गऊ सेवक कृष्ण और कहाँ गौ भक्षकों की मनोकल्पित रचना रोमियो,किसी भी स्तर पर कहीं भी कभी भी किसी से भी कोई तुलना संभव ही नहीं है मेरे कृष्ण से.....
#इसलिए अावारा, अय्याशों, लंपटो, शोहदों, शहजादों, नवाबजादों लव जिहादीयों के असामाजिक,अनैतिक, आपराधिक, अवैधानिक व अशिष्ट कुकृत्यों को निरुद्ध करने के लिए यूपी पुलिस ने गठित बल का नाम Anti Romeo Squad रखा है तो बिल्कुल ठीक ही रखा है.....
#कवि दिनकर के शब्दों में
‘हित-वचन नहीं तूने माना,मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,जीवन-जय या कि मरण होगा।
‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर,बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।फिर कभी नहीं जैसा होगा।
#आशीष_तिवारी
#सादर_वंदेमातरम्
संस्कृति का विकृती से, संयम का व्याभिचार से, संस्कार का कुसंस्कार से, धर्म का अधर्म से, शिष्टता का धृष्टता से, पूर्वात्य का पाश्चात्य से और अस्मिता का अपमान से युद्ध ही तो है.....
#निश्चित तौर पर भारतीय स्त्रीत्व को निर्लज्जता की पराकाष्ठा पर पंहुचा कर, उसे बाजारू बना ;नारी केंद्रीत भारतीय संस्कृति की आत्मा को नष्ट करने का कई रूपों में प्रयास स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से चल रहा है।
भारतीय संस्कृति के विनाश में इस्लाम की आक्रामकता या पाश्चात्य की दैहिक निर्लज्जता की जितनी भूमिका नहीं रही। उससे कहीं ज्यादा नुकसान धर्म को अफीम बताने वाले कामी वामपंथ के कथित व्याभिचारी विचारकों की रही.....कालांतर में मैकाले के मानसपुत्रों की कर्मभूमि JNU, FTII जैसी संस्थाएं बन गई जहाँ सिगरेट के धुंए उड़ाते बिना नहाये दाढ़ी बढ़ाकर इसके-उसके साथ और इसके-उसके बिस्तर में सोते हुए युवक-युवतियों में भारतीय धर्म और दर्शन को कमतर आंक कर प्रगतिवादी चिंतक बनने की होड़ सी लग गई...
सारी मर्यादाओं को समाप्त कर दिया। वर्जना की सारी दीवारें भरभरा कर गिर गई। इन कथित प्रगतिशीलकों ने महिषासुर को आराध्य और महिषासुर मर्दिनी को खलनायिका बना दिया। अकबर में आदर्श नेतृत्व और जोधाबाई में स्त्री स्वातंत्र्य,अर्धनग्न युवतियों में लिबर्टी, लिव इन रिलेशनशिप में परिवार का आदर्श तो सन्नी लियोन जैसे पोर्न स्टार में नारी विकास देखने लगा, राम में अमानुषिक अतिवादी देखने लगा तो आतंकवादी इन्हें आजादी के सिपाही तो शहीद देश के दुश्मन दिखने लगे.....
#अमेरिकी खुफिया एजेंसी सी.आई.ए. विकासशील देशों को अस्थिर करने के लिए आपरेशन कोल्ड वार चलाती है जिसमें ऐसे ही प्रगतिशील एवं जनवादी संगठनों का मोहरे की तरह इस्तेमाल करती है। भारत में बहुत से NGO को अवैध फंडिंग कर देश को अस्थिर करने के अभियान का अवैधानिक हिस्सा प्रशांत भूषण की CPIL संस्था भी रही.....इसी कोल्ड वार की अवैध संतान प्रशांत भूषण जिस पर रोमिला थापर और रामशरण शर्मा जैसे लेखकों का प्रभाव है
रोमियो है कौन? और आया कहाँ से है ? शेक्सपियर ने इसकी कथा वस्तु इटली से ली थी, जिसमें दो खानदानों के आन की लड़ाई चित्रित की गई है और प्रमुख बात यह है कि पूरी कहानी काल्पनिक है इसे सामान्य श्रेणी का ही नाटक माना जाता है क्योंकि इसमें प्रेम की गहरी आत्मानुभूति तथा संवेदना का अभाव है। यदि इस नाटक में कुछ है तो वो है दैहिक मांसलता का चित्रण और वासना की मुखरता जो शेक्सपियर अपने अन्य नाटकों में चित्रित नहीं कर पाया है.....
#नाटक में रोमियो शुरू से चपल और लंपट है, उसकी दृष्टि में देैहिक अतृप्ति और हवस ही सब कुछ है । उसका प्रेम कहीं भी आत्मिक नहीं है, सबकुछ जिस्म के ही स्तर पर है जैसा आजकल के रोड छाप लंपटो में होता है। लंपट चित्रण में शेक्सपियर ने अद्भुत कौशल का जबकि प्रेमानुभूति में एकदम असफलता का प्रदर्शन किया है।इतने द्विअर्थी और अश्लील शब्द किसी निम्नतम काव्य में ही हो सकते हैं आप उनका अनुवाद पढ़ भी नहीं सकते , वास्तव में यह नाटक पैसे कमाने की दृष्टि से ही लिखा गया था.....
#इसके उलट प्रभु श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवन चरित्र, उनका ईश्वरत्व सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है, चाहे आप उनके जीवन के किसी भी पहलू का अध्ययन करें। असुरों के वध का प्रसंग हो, चाहे गोवर्धन पर्वत कनिष्ठिका में उठाकर ब्रजवासीयों की रक्षा का प्रसंग हो, चाहे कालिया नाग दहन का प्रसंग हो, चाहे गोकुल के ग्वालों को संगठित कर आर्थिक नाकेबंदी का प्रसंग हो, चाहे अत्याचारी राजा से प्रजा हित हो, चाहे जरासंध के कारावास से राजकुमारीयों की मुक्ति से लेकर उनका वरण कर संरक्षण का प्रसंग हो, चाहे चीरहरण से लाज रक्षा का प्रसंग हो, चाहे गुरु दक्षिणा प्रसंग हो, चाहे कौरव पांडव संधि प्रयास प्रसंग हो,चाहे समरभूमि पर युद्धस्व भारत की हुंकार हो और चाहे अंत में बिना किसी अभिमान के एक सामान्य मनुष्यों की तरह मृत्यु को अंगीकार करने का प्रसंग हो.....
#क्या कहीं भी रोमियो ठहरता है कृष्ण के सम्मुख, कहाँ प्रेम की जीवंत अद्वैत मूर्ति कृष्ण और कहाँ जिस्म की फंतासी रोमियो, कहाँ दुष्ट काल यवन संहारक कृष्ण और कहाँ गल्प में विषयी विष भक्षक होकर मरने वाला रोमियो, कहाँ खंडित मन को अखंडित कर जीवनदाता कृष्ण और कहाँ वासना में खंड खंड होकर जीवन नष्ट करने वाला रोमियो, कहाँ बंशी की तान पर गऊ सेवक कृष्ण और कहाँ गौ भक्षकों की मनोकल्पित रचना रोमियो,किसी भी स्तर पर कहीं भी कभी भी किसी से भी कोई तुलना संभव ही नहीं है मेरे कृष्ण से.....
#इसलिए अावारा, अय्याशों, लंपटो, शोहदों, शहजादों, नवाबजादों लव जिहादीयों के असामाजिक,अनैतिक, आपराधिक, अवैधानिक व अशिष्ट कुकृत्यों को निरुद्ध करने के लिए यूपी पुलिस ने गठित बल का नाम Anti Romeo Squad रखा है तो बिल्कुल ठीक ही रखा है.....
#कवि दिनकर के शब्दों में
‘हित-वचन नहीं तूने माना,मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,जीवन-जय या कि मरण होगा।
‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर,बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।फिर कभी नहीं जैसा होगा।
#आशीष_तिवारी
#सादर_वंदेमातरम्
आशीष तिवारी
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