Monday 17 April 2017


राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,और मंत्री को हिंदी में ही देने होंगे भाषण ...


अब भारत में ज्यादातर लोग हिंदी बोलते समझते व लिखते-पढ़ते हैं, देश के ज्यादातर लोग ऐसे ही हैं जिनको हिंदी के अलावा कोई दूसरी भाषा नहीं आती, फिर भी उनकी मजबूरी होती है कि सरकारी कार्यालय मंत्री प्रधानमंत्री नेता अंग्रेजी का प्रयोग करते हैं, और वह उनकी सर के  ऊपर होकर निकल जाती है, मनमोहन सिंह 10 साल प्रधानमंत्री रहे उन्होंने  भाषण का एक शब्द कभी हिंदी में नहीं बोले,वह क्या बोलते थे क्या कहते थे,आम जनता को कभी पता ही नहीं चला, ऐसी भाषा का प्रयोग करने से क्या फायदा जो देश के लोगों के समझ में ही ना आए ।

हिंदी भाषा को लेकर एक पेहल आधिकारिक भाषाओं पर लेकर बनी संसदीय समिति ने की है, उन्होंने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से सिफारिश की थी भारत में ज्यादातर हिंदी भासा का ही प्रयोग किया जाये, जिसको राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वीकार कर लिया है,समिति ने यह सिफारिश की थी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सभी गणमान्य लोग अगर हिंदी बोल सकते हैं, तो उन्हें इस भाषा में भाषण देना चाहिए, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इसके साथ कई और सिफारिशों को भी अपनी मंजूरी दी है।

 जिसमें एयर इंडिया की  टिकट पर हिंदी का उपयोग और एयरलाइंस में यात्रियों के लिए हिंदी अखबार व मैगजीन उपलब्ध कराना भी शामिल है,हालांकि राष्ट्रपति ने नागर विमानन मंत्रालय को कहा है या नियम सिर्फ सरकारी एयरलाइन तक सीमित रखा जाए, सभी सरकारी और अर्धसरकारी संगठनों को अपनी उत्पादों की जानकारी हिंदी में देना अनिवार्य होगा।

 संसदीय समिति ने सीबीआई और केंद्रीय विद्यालयों में आठवी कक्षा से लेकर 10 वीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य विषय करने की भी सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति ने सैद्धांतिक रुप से स्वीकार कर लिया है, इसके अनुसार केंद्र ए श्रेणी के हिंदी भाषी राज्यों में ऐसा कर सकता है, लेकिन इसके लिए राज्यों की सलाह मशविरा करना अनिवार्य होगा।

 राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इसी बर्ष जुलाई में समाप्त हो रहा है, और होसकता है कि जो अगला राष्ट्रपति बनेगा वह हिंदी में ही भाषण देगा, प्रधानमंत्री मोदी और उनकी मंत्रिमंडल की अधिकांश सहयोगी हिंदी में ही भाषण देते हैं, आगे चलकर हो सकता है यह कानून सभी के लिए लागू हो जाए

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