एक अमेरिकी नागरिक की जिन्होंने अपना करोड़ों का व्यवसाय भगवद्गीता के प्रचार प्रसार के लिए वारेन बफेट को बेच दिया. अमेरिकी करोड़पति गेश माइकल रोच ने श्रीमदभगवद्गीता से ऐसा मन लगाया कि अपना पूरा जीवन ही गीता के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित कर दिया.
डायमंड कटर इंस्टिट्यूट के संस्थापक गेश माइकल रोच के जीवन का लक्ष्य बस इतना है कि जो लोग गीता के ज्ञान से वंचित है उन तक इस अमूल्य ज्ञान को पहुँचाना है.
गेश माइकल रोच “अपने जीवन और व्यवसाय को उन्नत बनाने के लिए गीता के सूत्रों को कैसे अपनाएं” विषय पर बीएचयू में व्याख्यान दे चुके है. उनका कहना है कि यदि जीवन में सफलता और खुशियाँ चाहियें तो गीता का पाठ जरुर करें. गीता जीवन में आ रही कठिनाइयों का समाधान है.
माइकल रोच ने बताया कि 21 वर्ष की उम्र में 1973 में वे भारत आए और 25 वर्षों तक यहां रहकर भारतीय ग्रन्थ और साहित्यों का अध्ययन किया. इस दौरान गीता ने मुझ पर गजब का प्रभाव डाला. मैंने तभी निर्णय ले लिया था कि अब अपना जीवन इस ग्रंथ के प्रचार व प्रसार में लगा दूंगा.
वर्तमान में डायमण्ड कटर इंस्टीट्यूट विश्व में कई स्थानों पर अध्यात्म और ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है. अपने विशेष प्रोजेक्ट एशियन क्लासिक इनपुट प्रोजेक्ट की चर्चा करते हुए माइकल ने बताया कि संस्कृत से संबंधित प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों और तिब्बती भाषा की पांडुलिपियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए 2006 में एशियन क्लासिक प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जहां भारतीय ग्रंथों व पांडुलिपियों का अंग्रेजी अनुवाद किया जाता है.
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