Sunday, 23 April 2017

हिन्दू लड़कियों को इस्लामिक जिहाद के बारे में समझाया कैसे जाये..??
इस्लामिक जिहाद को सबसे ज्यादा सहयोग देती हैं पढ़ी लिखी सेक्युलर हिन्दू लड़कियां..और ये लड़कियाँ लगभग हर घर में हैं... ये कार्य आप अपने ही घर से शुरू करें..जैसा कि पहले भी कहा गया है कि जब भी आप अपने घर में अपनी सगी बहन या फिर रिश्ते की बहनों के सामने बैठे हों तो ये इस्लामिक जिहाद की चर्चा अवश्य ही छेड़ें..चाहे उनको ये बात अच्छी लगे या न लगे..क्योंकि जब मरीज़ डाक्टर से ईलाज करवाता है तो उसको भी कड़वी दवाई अच्छी नहीं लगती पर वही दवा उस मरीज के भले के लिये होती है।
सबसे बड़ी बात आप उसको इस्लाम में रोज घट रही बातों के बारे में बताएं....बोको हराम ...ISIS आदि संगठनों के किये जा रहे क्रियाकलापों के बारे में बताएं ... या उसके एक दो न्यूज़ ही सुना दें...याद रखिये....आज के समय में जो सबसे बड़ी गलती हिंदूवादी कर रहे हैं वो यही है कि आप अपने धर्म के बारे में तो बताते हैं लेकिन इस्लाम कि बुराई को बता पाने में असमर्थ होते हैं.... मान लिया कि वो हिन्दू धर्म के बारे में तो जान गयी लेकिन इस्लाम को जान ही नहीं पायी तो वो तो उसको अच्छा ही समझेगी ....
आप पागल कुत्ते को देख कर क्यूँ डरते हैं ? आप सांप देख कर क्यूँ डरते हैं ? आखिर क्यूँ ? क्यूंकि आपने उसके खतरनाक और ज़हरीले क्रियाकलापों को जान लिया और ये भी जान लिया कि अगर सांप ने काटा तो मुझे मरने का डर है... कुत्ते ने काटा तो 14 इंजेक्शन लगने का डर है...तो आपको सबसे पहले इस्लामिक जिहाद के बारे में बताना होगा...
ये कहना खराब लगता है ...ऐसा लगता है जैसे मैं नफरत करने को सिखा रहा हूँ.पर जो लोग आपसे आलरेडी नफरत कर रहे हैं उससे कैसी दोस्ती ? जो आपको बर्बाद करने पर तुला है और जो आपकी बहन बेटी कि इज्जत लूटना चाहते है उससे नफरत नहीं तो और क्या किया जाए ? विकल्प कहाँ है ? रास्ता क्या है ? या तो बहन बेटी सौंप दो अगर आप नामर्द हो...या फिर बहन बेटी से खेलने वाले को सबक सिखाओ...
आखिरी बात...इसे फेसबुक आदि जगहों पर ये सोच कर शेयर करने से डरें नहीं कि आपके फ्रेंड लिस्ट कि कोई सुन्दर मगर मुर्ख और सेक्युलर लडकी आपको अनफ्रेंड कर देगी..क्यूंकि यही फैलते फैलते फिर आपके घर कि लड़कियों तक भी बात जायेगी..अगर वो अनफ्रेंड भी करती है तो आपने एक अच्छा काम किया है इसका संतोष रखिये...क्योंकि उसके भी कान तक एक बार तो आपने सच्चाई पहुंचाई ही।
खुश पाण्डेय

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