मालदा से हिंदुओं का पलायन शुरू।
भागते रहो नामर्द हिंदुओं।
जबतक लड़ना नहीं सीखोगे कुत्तों की तरह जिंदगी भर डरकर भागते रहोगे कभी पाकिस्तान से कभी बांग्लादेश से कभी कश्मीर से कभी आसाम से कभी मालदा से।
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भागते रहो नामर्द हिंदुओं।
जबतक लड़ना नहीं सीखोगे कुत्तों की तरह जिंदगी भर डरकर भागते रहोगे कभी पाकिस्तान से कभी बांग्लादेश से कभी कश्मीर से कभी आसाम से कभी मालदा से।
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पूर्णिया और मालदा की सड़कें।लाखों की संख्या में थानों,गाड़ियों और घरों को जलाते जालीदार टोपी वाले
सहिष्णुता और असहिष्णुता की परिभाषा इस बात पर भी निर्भर करती है की आप टोपी वाले हो या टीके वाले। जो समाज वोट इसलिए देता है की सामने वाला उसकी जाति का है उस समाज को मिटने से कौन रोक सकता है। जब तक हिन्दू जातियों से ऊपर नहीं उठते तब तक मालदा भी जलेंगे और पूर्णिया भी।
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राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के राकेश सिन्हा ने अपने ट्विट पर लिखा कि भारत में राम मंदिर का विरोध अब समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी बंद कर दिया है। अभी हाल में बिजनौर से राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त ओमपाल नेहरा ने देश में राम मंदिर निर्माण की बात कही तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया। इसी तरह कल सपा के मुस्लिम चेहरा के रूप में बुक्कल नवाव का कहना की राम मंदिर के निर्माण में में 10 लाख रुपया और सोने का मुकुट दूंगा सनसनी फ़ैल गयी है सपा में, अब सपा सुप्रीमो किस किस को निकालेंगे। मालदा पर चुप रहने बालों को राम मंदिर पर बोलने का अधिकार नहीं है।
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते रविवार मालदा में हुई हिंसा पर पहली बार चुप्पी तोड़ी। ममता ने कहा कि मालदा में हुई घटना सांप्रदायिक हिंसा नहीं थी। ममता के मुताबिक इस मामले को गलत तरीके से पेश किया गया है।
ममता ने अपने बयान में कहा कि असल में यह स्थानीय लोगों और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बीच का मामला था। हालांकि मामले को संभाल लिया गया है और अब स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। बीती 3 तारीख को पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में ढाई लाख अल्पसंख्यकों की भीड़ में हिंसा फैल गई। असल में यह भीड़ कथित हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी के मोहम्मद पैगंबर पर की गई कथित टिप्पणी के खिलाफ विरोध मार्च निकाल रही थी। लेकिन अचानक हिंसा भड़क गई। इस दौरान करीब दो दर्जन पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी गई। भीड़ ने कथित तौर पर बीएसएफ की एक बस को भी आग लगा दी थी. मामले में पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया था। सभी को 6 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया था।
आरएएफ ने संभाला था मोर्चा
हिंसक भीड़ ने कालियाचक के बीडीओ दफ्तर पर भी हमला कर दिया। इसके बाद खालतीपुर रेलवे स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया गया। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो हिंसक झड़प में कई पुलिसवाले भी घायल हो गए। हंगामें की वजह से इलाके में दुकाने भी बंद रही. हिंसक भीड़ ने कथित तौर पर आस-पास के कई घरों में लूटपाट भी की। इसके बाद स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) को बुलाना पड़ा।
हिंसक भीड़ ने कालियाचक के बीडीओ दफ्तर पर भी हमला कर दिया। इसके बाद खालतीपुर रेलवे स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया गया। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो हिंसक झड़प में कई पुलिसवाले भी घायल हो गए। हंगामें की वजह से इलाके में दुकाने भी बंद रही. हिंसक भीड़ ने कथित तौर पर आस-पास के कई घरों में लूटपाट भी की। इसके बाद स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) को बुलाना पड़ा।
मालदा के बाद पूर्णिया में भी भड़की थी हिंसा
रविवार के बाद गुरुवार को पूर्णिया में भी हिंसा भड़क गई थी। जहां ऑल इंडिया इस्लामिक काउंसिल की अगुवाई में मुस्लिम समुदाय के करीब 30 हजार लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में शामिल लोग कथित तौर पर विवादित बयान देने वाले कमलेश तिवारी को फांसी दिए जाने की मांग कर रहे थे। इस दौरान कमलेश तिवारी का एक पुतला फूंका गया और फिर हजारों लोगों की भीड़ ने एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया। पुलिस ने इस मामले में 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
रविवार के बाद गुरुवार को पूर्णिया में भी हिंसा भड़क गई थी। जहां ऑल इंडिया इस्लामिक काउंसिल की अगुवाई में मुस्लिम समुदाय के करीब 30 हजार लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में शामिल लोग कथित तौर पर विवादित बयान देने वाले कमलेश तिवारी को फांसी दिए जाने की मांग कर रहे थे। इस दौरान कमलेश तिवारी का एक पुतला फूंका गया और फिर हजारों लोगों की भीड़ ने एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया। पुलिस ने इस मामले में 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
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मुज्जफरनगर, टोंक, सिरोही, बरेली, मालदा, पूर्णिया ...........
आगे आगे देखिये ये फेरहिस्त कितनी लम्बी होती चली जायेगी और चिंता मत करिये, इस फेरहिस्त में आपके वाला शहर भी जुड़ेगा। जो माहोल हे उससे साफ लग रहा हे की हर शहर इसमें जुड़ेगा। तो तब तक के लिए, निश्चिन्त होकर सेकुलरिज्म-सेकुलरिज्म, टॉलरेंस-टॉलरेंस खेलते रहिये।
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