Saturday 1 July 2017

*सच्ची श्रद्धा ही तारती है : -*
एक बार नारद जी को किसी ब्राह्मण ने रोका व पूछा, 'क्या आप ईश्वर से भेंट करने जा रहे हैं ? क्या आप उनसे पूछेंगे कि मुझे कब मुक्ति मिलेगी? ' नारद जी ने उसकी बात मानते हुए कहा, 'अच्छा, मैं उनसे पूछ लूँगा I
ज्योंही नारद जी आगे चले, उन्हें एक पेड़ के नीचे बैठा एक मोची मिला I उसने नारद मुनि से उसी तरह पूछा I जब नारद मुनि वैकुण्ठ लोक पहुँचे तो उन्होंने उन दोनों की इच्छा-पूर्ति के लिए श्री नारायण (ईश्वर) से उनकी मुक्ति के विषय में पूछा I श्री नारायण ने उत्तर दिया, *'इस शरीर को त्यागने के बाद मोची मेरे पास यहाँ आयेगा I
तब नारद मुनि ने पूछा, 'और वह ब्राह्मण ?'
'उसे तो अनेक जन्मों तक वहाँ रहना होगा। मुझे पता नहीं वह कब आ पायेगा।'

श्रीनारद मुनि को आश्चर्य हुया और अन्त में उन्होंने कहा, 'मैं इस रहस्य को समझ नहीं पाया।'
श्रीमन्नारायण ने कहा, 'इसे तुम देखोगे। जब वे तुमसे पूछें कि मैं धाम में क्या कर रहा था तो उनसे कहियेगा कि मैं सुई के छेद में हाथी डाल रहा था।'
जब श्रीनारद मुनि पृथ्वी पर लौटे और ब्राह्मण के पास गये तो ब्राह्मण ने कहा, 'क्या आपने भगवान से भेंट की? वे क्या कर रहे थे?'
श्रीनारद जी ने उत्तर दिया, 'वे तो सुई के छेद में हाथी डाल रहे थे।' ब्राह्मण ने कहा, 'मैं ऐसी अविश्वसनीय बातों को नहीं मानता।'
श्रीनारद को समझते देर न लगी की इस आदमी की भगवान में तनिक भी श्रद्धा नहीं है। इसे केवल कोरा किताबी ज्ञान है।
तब नारद मुनि मोची के पास गये। उसने पूछा, 'क्या आप भगवान के यहाँ से हो आये? कृपया बताइये कि वे क्या कर रहे थे?' श्री नारद जी ने उत्तर दिया, 'वे सुई के छेद में हाथी डाल रहे थे।'
बेचारा मोची रोने लगा, 'ओह ! मेरे भगवान कितने विचित्र हैं; वे सब कुछ कर सकते हैं।'
श्रीनारद जी ने पूछा, 'क्या तुम्हें विश्वास हो रहा है कि भगवान सुई के छेद में से हाथी निकाल सकते हैं?'
मोची ने कहा, 'क्यों नहीं? मुझे तो पूरा विश्वास है।'
'किस तरह?'
मोची ने उत्तर दिया, 'आप देख रहे हैं कि मैं इस बरगद के पेड़ के नीचे बैठा हूँ और उसमें से नित्य अनेक फल गिरते हैं। और उन फलों के प्रत्येक बीज में इस महान वृक्ष के ही समान एक बरगद का वृक्ष समाया हुया है। यदि एक छोटे से बीज के भीतर इतना बड़ा वृक्ष समाया रह सकता है तो फिर भगवान द्वारा एक सुई के छेद से हाथी निकालना कोई कठिन काम कैसे हो सकता है?'
*इसे श्रद्धा कहते हैं। यह अन्धविश्वास नहीं है। विश्वास के पीछे कारण होता है। यदि भगवान् इतने नन्हें-नन्हें बीजों के भीतर एक-एक विशाल वृक्ष भर सकते हैं तो क्या उनके लिये अपनी शक्ति के द्वारा सारे लोकों को अन्तरिक्ष में तैरते रखना कोई महान बात है ?*

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