Sunday, 11 June 2017

गांव की 20 महिलाओं ने चट्टानों का सीना चीरकर निकाला पानी...

खंडवा जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र खालवा का लंगोटी गांव दूसरे गांवों से ज्यादा अलग नहीं है। लेकिन यहां बने एक कुएं की कहानी ने इस गांव को देश क्या दुनिया के किसी भी गांव से अलग करती है।
  पानी की समस्या से त्रस्त गांव की 20 महिलाओं ने चट्टानों को 25 फुट तक गहरा खोद डाला और धरती का सीना चीर पानी निकाल दिखाया है। कठोर चट्टानों पर सब्बल से लगातार वार कर उसे फटने को मजबूर करती 25 वर्षीया मिश्रीबाई कहती हैं, “गांव के पुरुष हमारी हंसी उड़ाते थे, कहते थे, कुआं खोदना औरतों के बस की बात नहीं है। हमने अपने काम से उन्हें जवाब दिया है। हमें खुद पर भी भरोसा हो गया कि अब हमें किसी भी काम के लिए किसी के आगे गिड़गिड़ाने की जरूरत नहीं है।
”लंगोटी गांव की आबादी 2,000 से ज्यादा है जबकि पानी के स्रोत बेहद सीमित हैं। पानी की साल-दर-साल गहराती जा रही समस्या को हल करने के लिए गांव की महिलाओं ने पंचायत से लेकर प्रशासन तक, सब तरफ गुहार लगाई लेकिन मिले तो केवल आश्वासन। हर रोज दो-ढाई किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा था। सरपंचपति के सीताराम पटेल कहते हैं, “कुछ हैंडपंप बंद हैं तो कुछ कुओं का पानी प्रदूषित है. गर्मी में रहे-सहे जलस्रोत भी जवाब दे जाते हैं.” इस पर महिलाओं ने अपने ही परिवार के पुरुषों से कुआं खोदने को कहा। लेकिन वे भी मुफ्त में काम करने को तैयार न थे। फिर क्या था! महिलाओं ने खुद ही कुआं खोदने की ठान ली।
इन महिलाओं ने अप्रैल 2012 में महिलाओं ने खुदाई शुरू कर दी। दिन-रात इस काम में जुटी इन महिलाओं ने एक माह के भीतर ही करीब 12 फुट तक खोद डाला। लेकिन इन दिलेर महिलाओं के लिए चुनौती अभी खत्म नहीं हुई थी। खोदते-खोदते एक दिन उनकी कुदालियां कठोर चट्टानों से टकरा गईं।  यह देख एकबारगी उनके हौसले पस्त हुए। एक आशा थी कि उन्हें इस तरह मेहनत करता देख पंचायत पसीजेगी और आगे का काम पूरा करने की जिम्मेदारी खुद उठा लेगी। लेकिन महिला सरपंच ने जरा सी भी मदद नहीं की। 31 जनवरी, 2014 को फिर से गांव की 20 महिलाओं ने कुदाल, सब्बल, छेनी, हथौड़ा और तगारियां लेकर कुएं पर मोर्चा संभाल लिया। 26 वर्षीया फूलवती घर के सारे काम निबटाने के बाद औजार और साथ में खाना लेकर रोज सुबह ठीक 9 बजे कुएं पर जा पहुंचतीं। यहां 20 वर्ष की युवतियों से लेकर 70 वर्ष की महिलाएं भी बिना थके सुबह 9 से शाम 5 बजे तक ड्यूटी पूरी करती रहीं. इन महिलाओं ने महीने भर से भी कम समय में कुएं को 25 फुट गहरा कर दिया. महिलाओं की दिलेरी देख चट्टानें भी शायद पसीज गईं। 7 फरवरी को इस कुएं में से पानी की धारा निकल पड़ी और 20 महिलाओं की मेहनत रंग लाई।

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