भारत में राजनीती होती है या हिन्दुओ के खिलाफ युद्ध की साजिश, और ये सब सेक्युलर कहलाते है .. !
क्या आपने कभी मीडिया और बुद्धिजीवी तत्वों के गंदे मुँह से सुना है की, मायावती सांप्रदायिक है
मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव सांप्रदायिक है, लालू यादव सांप्रदायिक है, ममाता बनर्जी सांप्रदायिक है
इनको भी छोड़िये क्या हमारे मीडिया वालो ने कभी ओवैसी को सांप्रदायिक कहा है ? हमारे मीडिया वालो और बुद्धिजीवी तत्वों के लिए सिर्फ प्रवीण तोगड़िया सांप्रदायिक है, साक्षी महाराज सांप्रदायिक है, केवल हिन्दू ही सांप्रदायिक है
मुलायम सिंह यादव खुलेआम बोलता है, “हां मैंने हिन्दुओ पर गोली चलवाई, 16 क्या 30 भी मारने पड़ते हो मस्जिद बचाने के लिए मरवा देता ..हिन्दुओ को मरवाना बहुत जरुरी था वरना देश पर से मुसलमानो का भरोसा ही उठ जाता, मैं मुस्लिमो के लिए जिया हूँ और उन्ही के लिए मरूँगा भी”...अखिलेश यादव ने 5 साल में 32 मस्जिदे और 1300 करोड़ का हज हाउस बनवा दियाऔर सैंकड़ो मंदिर सड़क निर्माण में ध्वस्त कर दिए
वहीँ मायावती वो तो केवल मुस्लिम तुष्टिकरण की ही राजनीती करती है, उसके पास और कोई मुद्दा ही नहीं है मायावती की पार्टी का दूसरा सबसे बड़ा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी कह चूका है की, “दलित और मुस्लिम एक हो जाओ, हम हिन्दुओ से जूते साफ़ करवाएंगे”
यहाँ कांग्रेस “हिन्दू आतंकवाद” से परेशान है, राहुल गाँधी का कहना है की अलकायदा से भी अधिक खतरा भारत को हिन्दू आतंकवाद से है
हमारे तो समझ में यही नहीं आता की भारत में राजनीती और चुनाव हुआ करते है या हिन्दुओ के खिलाफ, हिन्दुओ को ख़त्म करने की साजिशें और अधिक शर्मनाक चीज ये है की, ऐसे घोर सांप्रदायिक लोगों को मीडिया सेक्युलर बताती है...
बात 1857 की है जब अंग्रेजो और देश के क्रांतिकारियों के बीच जंग छिड़ा हुआ था। क्रांतिकारियों का नेतृत्व देश के युवा क्रन्तिकारी टीपू सुल्तान, लक्ष्मी बाई, वीर कुंवर आदि के हाथ में था। इन सबको बहादुर शाह जफ़र का सहयोग प्राप्त था।
किन्तु गांधीवादी लोग और अंग्रेजो की राजनीति के कारण क्रांतिकारियों को हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के बाद अंग्रेजो ने बहादुर शाह जफ़र को रंगून भेज दिया। जंहा बहादुर शाह की जेल में मौत हो गई।
मुग़ल वंश की सत्ता छीन गई और आगरा पर अंग्रेजों का शासन हो गया। इसी दरबार में एक दरबानी रहता था जो मुसलमान था। मुग़ल की सत्ता छीनने के बाद मोतीलाल नेहरू के पिता गंगाधर नेहरू आगरा से भाग कर इलाहबाद पहुंचे। जंहा उन्होंने अपना नाम गंगाधर नेहरू रख लिया।
गंगाधर नेहरू इलाहाबाद में ही रहने लगे और अंग्रेजी राज्य में नौकरी करने लगे। यही से नेहरू परिवार की शुरुवात हुई। गांधी वादी होने से पहले नेहरू परिवार मूलतः मुसलमान थे।
गंगाधर का बेटा मोतीलाल नेहरू हुए जो बैरिस्टर हुए। और इनके बेटे पंडित जवाहर लाल नेहरू हुए जो देश की आजादी के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने और इनकी बेटी इंदिरा गांधी हुई जो देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। आप कह सकते है की नेहरू परिवार में प्रधानमंत्री बनने का रिवाज है क्योंकि लाल बहादुर शास्त्री जी के मृत्यु पश्चात इंदिरा गांधी देश की प्रधामंत्री बनी। वही इंदिरा गांधी की अचानक मृत्यु के पश्चात कांग्रेस पार्टी ने वंश परम्परा को बनाये रखने के लिए राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाया। राजीव गांधी की भी बम विस्फोट में मृत्यु हो गई। किन्तु नेहरू से बने गांधी परिवार ने अब तक देश से कई सच को छुपाए रखा है।इसी सच का बड़ा खुलासा लेखक एम के रैना ने किया है। बात उस वक्त है कि जब राजीव गांधी कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने कश्मीर गए हुए थे। इस कार्यक्रम में राजीव गांधी के साथ फारूक अब्दुल्लाह और वरिष्ठ लेखक एम के रैना भी उपस्थित थे।
जब कार्यक्रम के दौरान फारूक अब्दुल्लाह ने राजीव गांधी को हिन्दू नेता कहकर पुकारा तो राजीव गांधी ने तुरंत कहा कि मैं हिन्दू नहीं हूँ। मेरे पूर्वज मुसलमान थे और मैं आपमें से एक हूँ।
इस बयान का खुलासा एम के रैना ने सोसल साइट ट्विटर के जरिये ट्वीट कर बताया है कि राजीव गांधी ने भरी जनसभा में बिना हिचकिचाये कहा कि मैं हिन्दू नहीं हूँ और ना ही मेरे पूर्वज हिन्दू थे।
हालांकि, ये तो जगजाहिर है कि वर्तमान गांधी परिवार वाकई में हिन्दू नहीं थे। अंग्रेजो और इलाहबाद में हिन्दुओं से अपनी रक्षा के लिए गंगाधर नेहरू बन गए और नेहरू से फिर गांधी बन गए।
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