"शक्ति के आभाव में बुद्धि अपंग हो जाती है और बुद्धि के आभाव में शक्ति आत्मघाती, और इसलिए, अगर कहा जाए की सामाजिक चेतना की अपंगता ही आज विध्वंशक राजनीति द्वारा प्रायोजित भ्रष्ट सामाजिक व्यवस्था का कारन है तो गलत न होगा;
श्री राम भी रावण का वध और राम राज्य की स्थापना कर चले गए, कृष्णा ने भी कंश को कब का मार दिया और गीता का उपदेश भी देकर चले गए, महात्मा बुद्ध ने भी सत्य का ज्ञान प्राप्त कर अपनी शिक्षा दे दी और विवेकानंद ने भी पराधीन, शोषित और उत्पीड़ित राष्ट्र को आध्यात्मिक ज्ञान का मार्ग दिखा कर राष्ट्र को स्वालम्बी बनाने का तरीका बता कर चले गए। डॉ केशव बलिराम हेगडेवार जी ने भी इस दिशा में प्रयास को आगे बढ़ाते हुए संघ की स्थापना भी कर ली और बहरी सरकार को अपनी बात सुनाने के लिए भगत सिंह ने भी संसद में बम फोड़कर फांसी को गले लगा लिया, ऐसे में, आज जब हम वर्त्तमान हैं, हमें जो करना चाहिए क्या हम वो कर रहे हैं, यह सवाल आज सभी को अपने आप से करना चाहिए।
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