उज्जैन का रहस्य
पृथ्वी के केन्द्र का गणित
महाकालेश्वर मंदिर से गुजरात के विख्यात सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की दूरी 777 किलोमीटर, मध्यप्रदेश स्थित ओंकारेश्वर की 111 किलोमीटर, महाराष्ट्र स्थित भीमाशंकर की 666 कि.मी., उत्तरप्रदेश स्थित काशी विश्वनाथ की 999 कि.मी., महाराष्ट्र स्थित मल्लिकार्जुन की 1000 कि.मी., उत्तराखंड के केदारनाथ की 888 कि.मी., महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर की 555 कि.मी., झारखंड स्थित बैजनाथ की 1000 कि.मी., तमिलनाडु स्थित रामेश्वरम की 2000 कि.मी और महाराष्ट्र स्थित घृष्मेश्वर की 555 कि.मी. है।
सनातन धर्म में कुछ भी बिना कारण के नही होता था,उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है । जो सनातन धर्म में हजारों सालों से केंद्र मानते आ रहे है इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये है करीब 2050 वर्ष पहले!
और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायीं गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला।
और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायीं गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला।
●●*आज भी वैज्ञानिक उज्जैन ही आते है सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये,हिन्दू धर्म की मान्यताये पुर्णतः वैज्ञानिक आधार पर निर्मित की गयी है!*
बस हम उसे दुनिया में पेटेंट नही करवा सके।।#विट्ठलव्यास
बस हम उसे दुनिया में पेटेंट नही करवा सके।।#विट्ठलव्यास
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