भ्रष्टाचार क्या है, नैतिकता का अभाव | अतः जहाँ अनैतिकता है वहां भ्रष्टाचार है | कोई भी अपराध ले लें, वह अनैतिक वजहों के कारण ही होता है ...
उदाहरण के तौर पर दूध में पानी के मिलावट को ही ले लें | दूध बेचने वाला ज्यादा पैसा कमाने के लिए दूध में पानी मिलाने का अनैतिक कार्य करता है, अतः वह भ्रष्टाचार के वजह से अपराध में लिप्त है |
दूसरा उदाहरण विकास कार्य से सम्बंधित सरकारी नौकरों का ले लें | सरकारी नौकर विकाश के धन का बन्दर बाँट करते हैं और विकास के लिए निर्गत धन का अधिकतर पैसा खा जाते हैं, अतः सतह पर विकास दिखाई नहीं देता | सरकारी नौकर यह नहीं सोचते की इस धन से विकाश होने पर ज्यादा लोगों का भला होगा और ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में नैतिकता खो देते हैं और भ्रष्ट बन जाते हैं |
तीसरा उदाहरण कानून-व्यवस्था का ले लीजिये जहाँ रिश्वत एवं प्रभाव के बल पर खूनी, माफिया एवं गुंडे भी आराम की जिंदगी गुजर बसर कर रहें है और यह पुलिस विभाग के सरकारी नौकरों में नैतिकता के अभाव के कारण हो रहा है | अतः उपर्युक्त उदाहरणों के आधार पर हम यह कह सकते हैं की हर अपराध की जननी भ्रष्टाचार है | जब तक हम इस पर अंकुश नहीं लगाते तब तक प्रदेश का भला कभी नहीं हो सकता, चाहे आप कितना भी कोशिश क्यों न कर लो | चूँकि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाती अतः उन्हें अनैतिक कार्य करने में थोड़ा भी डर नहीं लगता | इस वजह से विकाश, कानून व्यवस्था एवं न्याय प्रणाली पंगु होती जा रही है |
पूर्व सतर्कता आयुक्त की एक टिपण्णी के मुताबिक़ ८५% सरकारी नौकर भ्रष्ट हैं और बाकि भ्रष्ट बनने के कगार पर हैं | अतः हमारे देश में प्रजा-तन्त्र है कहाँ? सिर्फ वोट देने का अधिकार होने से ही कोई देश प्रजा-तांत्रिक थोड़े ही हो जाता है ...यदि हम सरकारी नौकरों में भ्रष्ट कार्य करने के प्रति डर पैदा कर दें तो हर तरह का अपराध बंद हो जायेगा और आम जन के जीवन में परिवर्तन दिखने लगेगा | (डॉ विनय के सिंह)
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