ज़्यादा पुरानी बात नहीं है.
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आज से सिर्फ लगभग 300 साल पहले धरती पर Dodo नामक एक पक्षी हुआ करता था.
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Dodo का निवास मारीशस द्वीप पर था. उस द्वीप पर एक भी ऐसा प्राणी नहीं था जिस से कि Dodo को खतरा हो. ऐसा कहा जाता था कि Dodo has no enemy. मारीशस पर Dodo के लिए भोजन इतना प्रचुर था और शत्रु कोई था नहीं इसलिए Dodo को कभी उड़ना ही नहीं पड़ता था. इसलिए धीरे धीरे Dodo ने उड़ने की और तेज़ भागने की अपनी क्षमता खो दी. पूरे द्वीप पर कोई शत्रु न था, कोई ऐसा जीव न था जो Dodo को मार के खाता, इसलिए Dodo ने किसी से डरना भी छोड़ दिया.
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किसी अनजान जीव से डरना, उसके निकट न जाना, उसे अपने निकट न आने देना, अगर आ जाए तो आत्मरक्षार्थ उस पर हमला करना और ख़तरा होने पर भाग जाना, ये वन्य जीवों के स्वाभाविक गुण होते हैं. जबकि घरों में पलने वाले पालतू जीव मनुष्यों से नहीं डरते.
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सो Dodo का चूँकि कोई स्वाभाविक शत्रु ही न था, इसलिए उसने डरना ही छोड़ दिया. 1598 में Mauritius के तट पर Dutch Sailors का आगमन हुआ. स्वर्ग जैसा मारीशस और वहाँ Dodo जैसा friendly पक्षी. बताया जाता है कि Dodo उन Sailors को देख के स्वयं उनके पास चले आते थे, मित्रवत !!!
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Dutch Sailors ने उन friendly Dodos को मार कर खाना शुरू कर दिया. एक डोडो में 10 से 20 किलो तक मांस होता था. सिर्फ 64 साल में, यानि 1662 में धरती पर अंतिम Dodo देखा गया.
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Dodo धरती से विलुप्त हो गए.
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कल तक स्वीडन यूरोप के सर्वाधिक संपन्न और सर्वाधिक शांतिप्रिय देशों में गिना जाता था. स्वीडन में crime rate इतना कम था कि वहाँ Police सिर्फ नाम मात्र को थी. पूरे देश में policing की ज़रूरत ही न पड़ती थी. Swedish लोग इतने friendly होते थे कि उन्हें कोई बुरा आदमी कभी मिला ही न था. आदमी जैसा स्वयं होता है वैसा ही वो दूसरों को भी समझता है.
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याद रखें : आदमी जैसा स्वयं होता है वैसा ही वो दूसरों को भी समझता है.
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अरब के देशों में जब अशांति फैली और वहाँ से जान बचा के जब लोगों ने भागना शुरू किया, तो वो Europe की तरफ भागे. Sweden ने दोनों हाथ फैला कर उनको गले से लगाया, शरण दी, सारी सुख सुविधाएं दी. आज वहाँ हालात ये हैं कि देश गृह युद्ध के कगार पर पहुँच गया है. वही अरबी शरणार्थी जो कल भूखे नंगे बिलबिलाते शरण मांगने आये थे, उन्होंने Oct 2015 में पूरे देश में एक सप्ताह तक जम कर तोड़ फोड़, लूटपाट, आगजनी की. हर तीसरे दिन वहाँ किसी न किसी बड़े स्टोर को लूट लिया जाता है या आग लगा दी जाती है. सरकार ने अपने नागरिकों को Advisory जारी की है कि वो उन इलाकों में न जाएँ जहां शरणार्थी रहते हैं. महिलाएं बाहर निकलते समय तन ढक के रखें. अकेले बाहर न निकलें.
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ताजा समाचार ये भी है कि स्थानीय नागरिकों ने 9 शरणार्थी शिविरों को आग लगा दी है. स्वीडिश समाज को ये ख़तरा पैदा हो गया है कि देश में कभी भी गृह युद्ध छिड़ सकता है. देश में शरणार्थियों का अवैध रूप से प्रवेश बदस्तूर जारी है. Sweden की सड़कों पर लोग सरेआम तलवारें लिए घूम रहे हैं.
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आज Sweden की कुल मुस्लिम जनसंख्या सिर्फ 5 लाख है. ये सभी 5 लाख लोग मुस्लिम शरणार्थी हैं जो पिछले 20 सालों में अरबी मुल्कों से यहां आये हैं और उनका आना अब भी बदस्तूर जारी है.
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Dodo की कहानी पूरी दुनिया के स्कूली पाठ्यक्रम में होनी चाहिए .
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शायद इसको पढ़कर किसी सिरफिरे और अपने आपको ज्यादा अकल्मन्द समझने वाले "सेकुलर" की आंखे खुल सकें.
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आज से सिर्फ लगभग 300 साल पहले धरती पर Dodo नामक एक पक्षी हुआ करता था.
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Dodo का निवास मारीशस द्वीप पर था. उस द्वीप पर एक भी ऐसा प्राणी नहीं था जिस से कि Dodo को खतरा हो. ऐसा कहा जाता था कि Dodo has no enemy. मारीशस पर Dodo के लिए भोजन इतना प्रचुर था और शत्रु कोई था नहीं इसलिए Dodo को कभी उड़ना ही नहीं पड़ता था. इसलिए धीरे धीरे Dodo ने उड़ने की और तेज़ भागने की अपनी क्षमता खो दी. पूरे द्वीप पर कोई शत्रु न था, कोई ऐसा जीव न था जो Dodo को मार के खाता, इसलिए Dodo ने किसी से डरना भी छोड़ दिया.
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किसी अनजान जीव से डरना, उसके निकट न जाना, उसे अपने निकट न आने देना, अगर आ जाए तो आत्मरक्षार्थ उस पर हमला करना और ख़तरा होने पर भाग जाना, ये वन्य जीवों के स्वाभाविक गुण होते हैं. जबकि घरों में पलने वाले पालतू जीव मनुष्यों से नहीं डरते.
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सो Dodo का चूँकि कोई स्वाभाविक शत्रु ही न था, इसलिए उसने डरना ही छोड़ दिया. 1598 में Mauritius के तट पर Dutch Sailors का आगमन हुआ. स्वर्ग जैसा मारीशस और वहाँ Dodo जैसा friendly पक्षी. बताया जाता है कि Dodo उन Sailors को देख के स्वयं उनके पास चले आते थे, मित्रवत !!!
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Dutch Sailors ने उन friendly Dodos को मार कर खाना शुरू कर दिया. एक डोडो में 10 से 20 किलो तक मांस होता था. सिर्फ 64 साल में, यानि 1662 में धरती पर अंतिम Dodo देखा गया.
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Dodo धरती से विलुप्त हो गए.
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कल तक स्वीडन यूरोप के सर्वाधिक संपन्न और सर्वाधिक शांतिप्रिय देशों में गिना जाता था. स्वीडन में crime rate इतना कम था कि वहाँ Police सिर्फ नाम मात्र को थी. पूरे देश में policing की ज़रूरत ही न पड़ती थी. Swedish लोग इतने friendly होते थे कि उन्हें कोई बुरा आदमी कभी मिला ही न था. आदमी जैसा स्वयं होता है वैसा ही वो दूसरों को भी समझता है.
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याद रखें : आदमी जैसा स्वयं होता है वैसा ही वो दूसरों को भी समझता है.
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अरब के देशों में जब अशांति फैली और वहाँ से जान बचा के जब लोगों ने भागना शुरू किया, तो वो Europe की तरफ भागे. Sweden ने दोनों हाथ फैला कर उनको गले से लगाया, शरण दी, सारी सुख सुविधाएं दी. आज वहाँ हालात ये हैं कि देश गृह युद्ध के कगार पर पहुँच गया है. वही अरबी शरणार्थी जो कल भूखे नंगे बिलबिलाते शरण मांगने आये थे, उन्होंने Oct 2015 में पूरे देश में एक सप्ताह तक जम कर तोड़ फोड़, लूटपाट, आगजनी की. हर तीसरे दिन वहाँ किसी न किसी बड़े स्टोर को लूट लिया जाता है या आग लगा दी जाती है. सरकार ने अपने नागरिकों को Advisory जारी की है कि वो उन इलाकों में न जाएँ जहां शरणार्थी रहते हैं. महिलाएं बाहर निकलते समय तन ढक के रखें. अकेले बाहर न निकलें.
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ताजा समाचार ये भी है कि स्थानीय नागरिकों ने 9 शरणार्थी शिविरों को आग लगा दी है. स्वीडिश समाज को ये ख़तरा पैदा हो गया है कि देश में कभी भी गृह युद्ध छिड़ सकता है. देश में शरणार्थियों का अवैध रूप से प्रवेश बदस्तूर जारी है. Sweden की सड़कों पर लोग सरेआम तलवारें लिए घूम रहे हैं.
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आज Sweden की कुल मुस्लिम जनसंख्या सिर्फ 5 लाख है. ये सभी 5 लाख लोग मुस्लिम शरणार्थी हैं जो पिछले 20 सालों में अरबी मुल्कों से यहां आये हैं और उनका आना अब भी बदस्तूर जारी है.
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Dodo की कहानी पूरी दुनिया के स्कूली पाठ्यक्रम में होनी चाहिए .
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शायद इसको पढ़कर किसी सिरफिरे और अपने आपको ज्यादा अकल्मन्द समझने वाले "सेकुलर" की आंखे खुल सकें.
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