Monday, 12 June 2017

समुद्र में चलता फिरता किला है

 आईएनएस विक्रमादित्य ...

क्या है खास
- 500 किमी का सुरक्षा कवच।
- युद्धपोत पर 30 युद्धक विमान, छह पनडुब्बी-नाशक व टोही हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं।
- 15 हजार करोड़ की लागत से बना।
- 59 किमी प्रति घंटा की रफ्तार।
- 284 मीटर लंबा, इतना कि फुटबॉल के तीन मैदान बन जाएं। 60 मी. ऊंचा।
- 45.3 हजार टन भार ढोने की क्षमता।
- 45 दिन लगातार समुद्र में रह सकता है।



भारतीय नौसेना की ताकत पड़ोसी मुल्कों के मुकाबले काफी आगे है। शायद यही वजह है कि भारत के वॉरशिप देखकर पाकिस्तान के पसीने छूट जाते हैं।
 आज हम आपको बता रहे हैं नौसेना के सबसे बड़े युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य के बारे में। वैसे तो यह वारशिप रूस में बना था, लेकिन रूस की सेना में लंबी सेवा देने के बाद इसे रिटायर कर दिया गया। बाद में इसे भारत ने खरीदा और पूरी तरह से इस वारशिप का दोबारा निर्माण कराया। इसमें भारत को 2.3 अरब डॉलर खर्च करने पड़े।आईएनएस विक्रमादित्य एक तैरते हुए शहर जैसा है।
 इस पर कुल 22 डेक है। 1600 से ज्यादा जवान इस पर तैनात रहते हैं। इस पर लगे जेनरेटर 18 मेगावाट बिजली प्रोडक्शन में सक्षम हैं। इसमें समुद्री पानी को साफ कर पीने लायक बनाने वाला आस्मोसिस प्लांट भी लगा है। हम इस युद्धपोत के भीतर जवानों की लाइफ के बारे में बता रहे हैं। आईएनएस विक्रमादित्य यूक्रेन के माइकोलैब ब्लैक सी शिपयार्ड में 1978-1982 में निर्मित कीव कैटेगरी के विमान वाहक पोत का एक रूपांतरण है। भारत लाने से पहले रूस के एक शिपयार्ड में इस जहाज की बड़े स्तर पर पूरी तरह नया रूप दिया गया।
 विक्रमादित्य 45300 टन भार वाला, 284 मीटर लंबा और 60 मीटर ऊंचा युद्धपोत है। इसकी लंबाई की तुलना करें तो ये करीब तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर जबकि, ऊंचाई लगभग 22 मंजिली इमारत की तरह है। इस पर मिग-29-के (K) लड़ाकू विमान, कामोव-31, कामोव-28, सीकिंग, एएलएच ध्रुव और चेतक हेलिकॉप्टरों सहित तीस विमान तैनात किए जा सकते हैं। 
इतना ही नहीं इस पर एंटी मिसाइल प्रणालियां भी तैनात की जा सकती हैं। इस वजह से इसके एक हजार किलोमीटर के दायरे में कोई लड़ाकू विमान और युद्धपोत नहीं फटक सकेंगे। 1600 नौसैनिकों के क्रू मेंबर्स के लिए 18 मेगावॉट जेनरेटर से बिजली तथा ऑस्मोसिस प्लांट से 400 टन पीने का पानी उपलब्ध होगा। इन नौसैनिकों के लिए हर महीने एक लाख अंडे, 20 हजार लीटर दूध, 16 टन चावल आदि की सप्लाई की जरूरत होगी

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