Tuesday, 6 June 2017

nazariya...

जिस देश को नकली गाँधी परिवार और भ्रष्ट कांग्रेस पार्टी ने 60 साल तक लूटा हो.....
जिस देश के अधिकतर सरकारी कर्मचारी परले दर्जे के हरामखोर और भ्रष्ट हों....
जो देश आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हो....
जिसका एक एक आदमी भ्रष्ट हो....
जहाँ रेलवे के शौचालय में लौटे को और दफ्तरों में पैन को बाँध कर रखना पड़ता हो....
जहाँ लोग गौरव की प्रतीक तेजस ट्रेन से ईयरफोन तक उतार के ले जाऐं.....
जहां कार्य संस्कृति (work culture) नाम की चीज़ ही न हो......
जिस राष्ट्र को आज 70 साल की आजादी में हम हगना मूतना, थूकना, चाटना और कूड़ा फेंकना नहीं सिखा पाए......
जहां आज भी MA पास लोग दर्ज़ा 2 की किताब नहीं पढ़ पाते.......
आज भी हज़ारों ऐसे गाँव हैं, जहां आज भी लालटेन डिबरी जलती है......
जहां मतदाता 20 रु की दारू पीके वोट देते हैं......
*वहाँ तीन साल में राम राज्य आ जाएगा ?? यदि हम आप ऐसा सोचते हैं तो हम आप मूर्ख हैं.....*
तीन साल में सिर्फ और सिर्फ पैच वर्क हो सकता है..... सिर्फ सब्सिडी दी जा सकती है |
*भारत जैसे भ्रष्ट देश की दशा और दिशा सुधारने में कम से कम दस साल लगेंगे.....*
यदि आपको ये साधारण सी बात समझ में नहीं आती तो किसी लालू यादव या केजरीवाल जैसे भ्रष्टाचारी नौसिखिए को बैठा दीजिये.... रातों रात तो भैया यही लोग रिजल्ट दे सकते हैं.....
जो आदमी grassroot level पे काम करेगा उसके रिजल्ट तो देर से आयेंगे पर ठोस होंगे...
Maggi भी सिर्फ कहने को दो मिनट में बनती है.... सामने थाली में आने में उसमें भी 15-20 मिनट लग जाते हैं.......
और एक बात और ....
*अच्छे दिन इंसानों के आते हैं....*
*चमगादड़ों के नहीं.....*
उन्हें तो हमेशा
उलटा ही लटकना होता है...
अरून शुक्ला

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वो कहते है जहां एक बार नमाज पढ़ ली जाये वहां मस्जिद होनी चाहिए ।
ये जो मंदिर के आंगन खोल के नमाज पढ़वा रहे हो हर हफ्ते ये पढ़ने का दावा करेंगे । हर हफ्ते उनकी गिनती बढ़ती जाएगी और जब मंदिर के आंगन में मस्जिद तामिर की मांग उठेगी तब आपको समझ आएगा कि हर बार मंदिर ही ध्वंस्त क्यूँ होते है ।।
वो उस मैदान में 5 बार 100 की संख्या में जुटेंगे ।
कुछ लोग वहीं रुक के 2-4 घंटे आराम करेंगे ।।
और आप मंदिर कितने देर के लिए जाते हो ???
उसके बाद विवाद पैदा करेंगे ।1000 फुट पर दावा ठोकेंगे ।
500 फुट पर समझौता करेंगे कुछ न होते हुए भी 500 फुट हथिया लेंगे ।।
आप सेक्युलरिज्म पढ़ाओ ।।
मंदिर में नमाज एक दम प्रतिबंधित होनी चाहिए ।
आखिर किसी मूर्ति के सामने की गई नमाज कबूल कैसे होगी ।
और नमाज वाले स्थान से मूर्ति हटाने की मांग शुरू हुई तब ।गंगा जमुनी में पड़े तो एक फिट जमीन भी अपने हिस्से न आएगी ।
हालात भोजशाला हो जानी है 
अरून शुक्ला

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ये भारत का गाँव अत्तीक्कड है, मल्लापुरम केरल में है ... पूरा भारत अनजान है इस गाँव से .. यहाँ की ख़बरें दबा जी जाती हैं लिबरल मीडिया के द्वारा

एक गाँव है जिसकी 100% आबादी अब मुस्लिम हो चुकी है .. वहां पर कोई कानून है तो सिर्फ शरीया कानून. ... वहां पर TV नहीं है, मोबाइल नहीं है, चुनाव में ये लोग वोट नहीं देते क्योंकि भारत के संविधान को नहीं मानते। ये लोग अल बग़दादी को अपना खलीफा मान चुके है और यहाँ के कई लड़के सीरिया जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं ... यहाँ पर भारत का संविधान नहीं चलता। कुछ होता है तो मौलवी शरिया कानून से निबटारा कर लेते हैं। यहाँ के लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं जेहादी मटेरियल और सलाफी (वहाबी) सोच को पढ़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
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Ranjay जी की कलम से
मयंक रॉय




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लड़कियो के नग्न घूमने पर जो लोग या स्त्रीया ये कहते है की #कपडे नहीं सोच बदलो....
उन लोगो से मेरे कुछ प्रश्न है???
1)हम #सोच क्यों बदले?? सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है??? आपने लोगो की सोच का #ठेका लिया है क्या??
2) आप उन लड़कियो की सोच का #आकलन क्यों नहीं करते?? उसने क्या सोचकर ऐसे कपडे पहने की उसके स्तन पीठ जांघे इत्यादि सब दिखाई दे रहा है....इन कपड़ो के पीछे उसकी सोच क्या थी?? एक #निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे,वही एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उस देखे
3)अगर सोच बदलना ही है तो क्यों न हर बात को लेकर बदली जाए??? आपको कोई अपनी बीच वाली ऊँगली का इशारा करे तो आप उसे गलत मत मानिए......सोच बदलिये..वैसे भी ऊँगली में तो कोई बुराई नहीं होती....आपको कोई गाली बके तो उसे गाली मत मानिए...उसे प्रेम सूचक शब्द समझिये.....
हत्या ,डकैती, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद इत्यादि सबको लेकर सोच बदली जाये...सिर्फ नग्नता को लेकर ही क्यों????
4) कुछ लड़किया कहती है कि हम क्या पहनेगे ये हम तय करेंगे....पुरुष नहीं.....
जी बहुत अच्छी बात है.....आप ही तय करे....लेकिन हम पुरुष भी किस लड़की का सम्मान/मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे, स्त्रीया नहीं.... और हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे
5)फिर कुछ विवेकहीन लड़किया कहती है कि हमें आज़ादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की.....
जी बिल्कुल आज़ादी है,ऐसी आज़ादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो,गाय भैंस का मांस खाने की आज़ादी हो,वैश्यालय खोलने की आज़ादी हो,पोर्न फ़िल्म बनाने की आज़ादी हो... हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो।
6)लड़को को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगा की क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे??? क्या ये लड़किया पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से देखती है ??? जब ये खुद पुरुषो को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती है की "हमें माँ/बहन की नज़र से देखो"
कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती है??? भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था....
सत्य ये है कीअश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधो की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दूकान है।।और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करता है।
मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशो में एक नशा अश्लीलता(सेक्स) भी है।
चाणक्य ने चाणक्य सूत्र में सेक्स को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है।।
अगर ये नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रीया अत्याधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती????
गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधो को जन्म देती है।। #विट्ठलव्यास

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