गुजरात बोर्ड में 99 प्रतिशत अंक लाकर 12वीं में टॉप करने वाला 17 साल का नौजवान वर्शील शाह अब आधिकारिक तौर पर जैन संन्यासी बन गया है।
गुरुवार को गुजरात के सूरत शहर में तापी नदी के किनारे भव्य दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया जिसमें कई जैन आचार्य, वर्शील का परिवार और जैन समुदाय के हजारों लोग शामिल हुए।
इस दीक्षा समारोह में पहले तो वर्शील को एक राजकुमार की तरह तैयार किया गया और दीक्षा लेने की प्रक्रिया शुरू हुई।
बाद में पूजा के दौरान वर्शील ने अपने आभूषण और राजशाही वस्त्र अपनी मां को सौंप कर सफेद वस्त्र धारण कर लिया।
मोह-माया का त्याग कर दीक्षा हासिल करने के बाद वर्शील का नाम भी बदल गया है और अब वह सुविर्यरत्न विजयजी महाराज बन गया है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि 12वीं में 99.99 यानी पूरे 100% मार्क्स लाने के बावजूद वर्शील किसी टॉप कॉलेज में एडमिशन लेना नहीं चाहता है। 100% लाने के बाद हर कोई अपने माता-पिता से बड़ी से बड़ी डिमांड करता है लेकिन अपनी इस मे मेहनत के लिए वर्शील ने इनाम में सन्यासी बनने की इजाजत मांगी है। हैरानी की बात तो तब हुई जब वर्शील के माता पिता ने भी उसकी इस डिमांड पर हामी भर दी। उन्हें वर्शील के इस फैसले पर कोई परेशानी नहीं हुई ना ही इस फैसले पर उन्हें कोई पछतावा है। इतना ही नहीं वर्शील का पूरा परिवार उसे सन्यासी बनाने के लिए दीक्षा समारोह की तैयारियों में जुटा हुआ है। वर्शील के पिता जिगर शाह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में इंस्पेक्टर हैं। जिगर से बातचीत पर पता चला कि उनके परिवार की पहले से ही आध्यात्म की तरफ रूची थी। उन्होंने बताया कि जब वर्शील की छुट्टियां होती थीं तो वह कहीं घूमने जाने की बजाय सत्संग जाया करता था।इन सत्संगों के दौरान ही वर्शील कई जैन मुनियों और संन्यासियों के संपर्क में आया जो संन्यासी बनने से पहले डॉक्टर, इंजिनियर और चार्टर्ड अकाउंटेंट थे लेकिन असली खुशी उन्हें दीक्षा लेने के बाद ही मिली। फिलहाल वर्शील का पूरा परिवार सूरत में है जहां 8 जून गुरुवार को वर्शील का दीक्षा समारोह जैन मुनी कल्याण रतन विजयजी की अगुवाई में होगा।
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