Tuesday, 6 June 2017

कहते है जब नादिर शाह ने दिल्ली पे कब्ज़ा किया था तो जामा मस्जिद के ऊपर चढ़कर एक तलवार छत पर गाड़ी थी और अपने जिहादियों को हुक्म दिया की जब तक ये तलवार ना उठे, क़त्ल-ए-आम ना रुके ... और रुका भी नहीं|
अहमद शाह अब्दाली जब लाहौर से निकला तो ये हुक्म दिया की वापिस आऊं तो शहर के चारो तरफ छकड़ों में नरमुंड का सैलाब हो ...
और ये हुआ भी|
इनको सिर्फ लुटेरा बताके इतिहास ख़त्म कर देने वाले वामी दोगले, औरंगजेब को माननीय बताने लगते है तो हैरानी क्या ?
ये तो इनके नायक है |
दिल्ली में एक लाख लोगो को काटने वाला तैमुर हो या राजपूतो के खून का प्यासा अल्लौद्दीन खिलजी ... ये सब इनके नायक है|
तारिक-बिन-जियाद से लेकर ओसामा बिन लादेन तक सब माननीय है|
किसको फर्क पड़ता है के गुरु तेग बहादुर के साथ क्या हुआ या संभाजी के साथ क्या हुआ ?
सहिष्णुता सिखाता है ना हिंदुत्व तो ये सब स्वीकार करो!! अपने कातिलो को अपना भगवान स्वीकार करो और तब तक करो जब तक ख़त्म ना हो जाओ!!
तुम्हारे पास गंधार नहीं रहा, लाहौर नहीं रहा, सिंध, ननकाना साहिब, हिंगलाज भी नहीं, और तुम्हारा वहम हट जाए तो जानोगे की कश्मीर, बंगाल और केरल भी छिन चुके है|
मगर जाने दो, कौन बेवकूफ सोचे, टी.वी खोलो रे, शांतिप्रिय धर्म और देश पाकिस्तान से क्रिकेट मैच हो रहा है !

No comments:

Post a Comment