कई कांग्रेसी और वामपंथी सूअर छाती कूट रहे है की मोदी ने फलाना स्टेशन बेच दिया..
असल में ये दोगले हिटलर के प्रचार प्रमुख गोबेल्स की हरामी औलादे है ..जो झूठ को बार बार फैलाने में विश्वास रखता था ..
असल में भारतीय रेलवे ने एक निगम बनाई है ..इंडियन रेलवे डेवलेपमेंट कारपोरेशन .. जो देश के कई प्रमुख रेलवे स्टेशन का कायापलट करने के लिए बनाया गया है ..
ये कार्पोरेशन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तरह रेलवे स्टेशन का विकास करेंगे ताकि यात्रियों को सुविधाये मिल सके .. इसके लिए जो टेंडर निकाले जा रहे है तो ये मुर्ख बोल रहे है मोदी ने फलाना रेलवे स्टेशन को फलाना करोड़ में बेच दिया ..
ये ठीक ऐसे ही होगा जैसे निजी कम्पनियां आजकल हाइवे बनाती है ..और उनका रखरखाव करती है ..
इसी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत आज देश में सभी हवाईअड्डे चल रहे है ...
जिस कम्पनी को टेंडर मिलेगा उस कम्पनी को वो स्टेशन 8 साल के लिए लीज पर दिया जायेगा .. वो कम्पनी उस स्टेशन में सभी सुख सुविधाए का निर्माण करेगी और उसका देखभाल भी करेगी .. बदले में उस स्टेशन पर बने दुकानों, पार्किंग आदि की कमाई पर हक उस कम्पनी का होगा ..
यानी सीधे ये समझिये की एक स्टेशन के देखभाल के लिए रेलवे क्लास थर्ड और फोर्थ के करीब 100 कर्मचारी भर्ती करती है .. और वो कर्मचारी क्या काम करते है वो हमे और आपको पता ही है ..
यानी ख़ुशी इस बात की है की अब रेलवे के निजीकरण की शुरुआत हो चुकी है जो बेहद अच्छी बात है क्योकि सरकार कोई व्यापारी नही है .. सरकार का काम सिर्फ कानून व्यस्था रक्षा आदि देखना ही है .. अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस जर्मनी आदि सभी देशो में रेलवे निजी हाथो में ही है
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