Tuesday, 20 June 2017


‘इंदु सरकार’ को लेकर इतना बेचैन क्यों है गांधी परिवार

आपातकाल पर बनी पहली फिल्म ‘इंदु सरकार’ को लेकर गांधी परिवार बेहद डरा हुआ है। अभी तक यह तय नहीं हो पा रहा है कि फिल्म का विरोध किस तरह से किया जाए। क्योंकि जितना विरोध होगा, फिल्म को उतनी ही पब्लिसिटी मिलेगी। खतरा यह है कि इस फिल्म से लोगों को कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार की उस असलियत का पता चल जाएगा, जिसे अभी तक छिपाकर रखा जाता रहा है। सोमवार को सोनिया गांधी की इजाज़त के बाद परिवार के वफादार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि उनकी पार्टी इस फिल्म का हरसंभव विरोध करेगी। उनकी दलील थी कि यह फिल्म ‘प्रायोजित’ है और इसे गांधी परिवार को बदनाम करने की नीयत से बनवाया गया है। कांग्रेस पार्टी के दूसरे नेता इस फिल्म को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

क्यों डरी हुई हैं सोनिया गांधी?

सोनिया और उनके सलाहकारों को डर है कि मधुर भंडारकर की ‘इंदु सरकार’ के आने के बाद इंदिरा और संजय गांधी के किरदारों की हक़ीकत लोगों के सामने आ जाएगी। इस फिल्म के ट्रेलर में फिल्म की लीड हीरोइन का एक डायलॉग है जिसमें वो पुलिसवाले से कह रही है कि “और तुम लोग ऐसे ही जिंदगी भर मां-बेटे की गुलामी करते रहोगे।” यह डॉयलॉग गांधी परिवार और उसके समर्थकों पर आज भी लागू होता है। तब इंदिरा और संजय गांधी का आतंक हुआ करता था और आज सोनिया और राहुल गांधी हैं। फिलहाल कांग्रेस अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि वो इस फिल्म के खिलाफ कोर्ट में जाए या नहीं। उसे डर है कि अगर ऐसा किया तो फजीहत और भी होगी और सच्चाई को दबाना आसान नहीं होगा। क्योंकि अब सत्ता की चाभी भी इस परिवार के हाथ में नहीं रही है।

40 साल बाद इकलौती फिल्म

हर छोटे-बड़े टॉपिग पर फिल्में बनाने वाला बॉलीवुड नेहरू-गांधी परिवार से कितना डरता है ये इसी बात से समझा जा सकता है कि आपातकाल के करीब 40 साल बाद भी देश के उस काले दौर पर कोई फिल्म नहीं बनी। आपातकाल के दौरान एक फिल्म आंधी जरूर आई थी। लेकिन उसका मैसेज उतना स्ट्रॉन्ग नहीं था। ‘किस्सा कुर्सी का’ नाम से एक और फिल्म बनी थी, लेकिन उस पर इंदिरा गांधी सरकार ने पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद से गांधी-नेहरू परिवार की चापलूसी में तो कई फिल्में बनीं, लेकिन आपातकाल के विषय को फिल्मकारों ने छुआ तक नहीं। यह तय माना जाता रहा है कि अगर किसी ने गांधी परिवार या उससे मिलते-जुलते किरदार या इमर्जेंसी में उनके कुकर्मों पर कोई फिल्म बनाई तो सेंसर बोर्ड उसे कभी मंजूरी नहीं देगा।

इतिहास का सबसे काला दौर

1975 से 1977 तक के बीच इंदिरा गांधी ने अपनी निरंकुश सत्ता स्थापित करने की नीयत से देश में आपातकाल लगाया था। इस दौरान नागरिकों के सभी अधिकार छीन लिए गए। इंदिरा के बेटे संजय गांधी के हुक्म पर 62 लाख से ज्यादा नौजवानों की जबरन या धोखे से नसबंदी कर दी गई। दुनिया के इतिहास में ये अपने तरह का इकलौता मामला है। यहां तक कि अपने अत्याचारों के लिए बदनाम रही हिटलर की सेना ने भी ऐसा काम नहीं किया। इस दौर में मीडिया की आजादी पूरी तरह कुचल दी गई। सरकार की आलोचना का अधिकार भी खत्म कर दिया गया। झुग्गियों में रहने वाले हजारों परिवारों को रातों-रात बेदखल कर दिया गया और उनके घरों पर बुलडोजर चलवा दिए गए। साथ ही लाखों लोगों को देशभर की जेलों में ठूंस दिया गया। हैरानी कि बात है कि कांग्रेस की सरकारों ने इस काले दौर का जिक्र भी इतिहास की किताबों से हटवा दिया, ताकि नई पीढ़ी को उनकी करतूतों की जानकारी न मिलने पाए।
फिलहाल इंदु सरकार को लेकर सोशल मीडिया में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिल रहा है:

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