Saturday, 3 June 2017

मां का दुख नहीं देखा गया…. तो बंजर जमीन का चीर डाला सीना
सिर्फ अपना नहीं…पूरे गांव की प्यास बुझा रही है शांति व विज्ञांति
कोरिया 3 जून 2017
। बेटियां क्या होती है…! बेटियां वो होती है…जो चाहे तो आसमान छू ले…चाहे तो धरती का सीना चीर पाताल से पानी निकाल ले ! उदाहरण कई हैं..लेकिन कोमल सी दिखने वाली बेटियों का फौलादी जिगर देखने इस बार आपको कहीं बाहर जाना नहीं होगा…. हम आपको छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की दो बेटियों की कहानी सुना रहे हैं…जिसने प्यासी धरती में पानी से भरे लबालब कुएं खोद डाले।
कोरिया जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी दूर मनेन्द्रगढ में एक गांव है कछौड …। जहां एक मजदूर परिवार अमर सिंह गोंड और जुकमुल अपनी दो बेटियों के साथ रहती है। दोनों बेटियां अपनी मां को हमेशा दो किलोमीटर दूर मुडधोवा नाला से पानी लाते देखती…! गांव में पानी था नहीं और कुछ हैंडपंप थे भी तो वो खराब पड़े हैं…….
प्यासा रहा भी नहीं जा सकता था.. !…लेकिन थी तो बेटी…मां का हर दिन का दुख सहा नहीं गया…सो उसने एेसी करनी की ठानी कि…सुनकर हैरान हो रह जायेंगे। इन बेटियों ने जो कारनामा कर दिखाया वह अपने आप में मिसाल है।
बडी बेटी शांति ने छोटी वहन विज्ञांति के साथ मिलकर घर के करीब कुंआ खोदने की ठानी…! लोगों से मदद मांगी तो लोगों ने पागल समझ लिया…मां-पिता को बोला से उसे हंसी में टाल दिया। लेकिन शांति और विज्ञांति ने तो ठान लिया था कि धरती का सीना चीर कर ही दम लेगी…दोनों बहनों ने घर के बगल में ही कुंआ खोदने लगी…कुछ दिन बाद मां-पिता का भी साथ मिला…और सबकी मेहनत से जल्द ही 20 फीट गड्ढा बन गया…अब उस कुंए में खूब सारा पानी है…। बिटिया खुश है…क्योंकि अब उसकी मां को दो किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ता…। इधर गांववाले भी शांति-विज्ञांति की तारीफ करते नहीं थक रहे।
स्थानीय विधायक और संसदीय सचिव कमलादेवी पावले ने भी बुलंद हौसले वाली बिटिया की तारीफ की है। बॉक्स आफिस पर कई रिकार्ड तोड रही हो लेकिन जो रिकार्ड कोरिया की दो बेटियों ने बनाया है उसे तोड पाना संभव नहीं है। क्योंकि खेलने कूदने और पढने की उम्र में इन बेटियों ने बंजर जमीन से पानी निकालने का हौसला कर दिखाया है।

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