Wednesday, 29 July 2015


पाकिस्तान में अब तक हजारों आतन्कवादियो को फांसी दी जा चुकी है , हालिया पेशावर हमले के सिलसिले में ही 84 लोगों को फाँसी दी जा चुकी है....
लेकिन इस पर कोई नहीं कहता कि मुस्लिमो को फसाया जा रहा है, ये इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश हैं...
ट्यूनीशिया में इस्लामी आतंकवाद रोकने के लिए अस्सी मस्जिदों पर ताला लगाया जा चुका है...सिर्फ ट्यूनिशिया ही नहीं तुर्की, बांग्लादेश जैसे कई मुस्लिम देशों की सरकारें इस्लामी आतन्कवाद से निपटने के लिए अपने देश के मस्जिदों, मदरसों पर सख्ती बरतती हैं और आतन्कवादियो को थोक भाव में पकड़ती हैं.... लेकिन इस पर कोई नहीं कहता कि मुस्लिमो को फसाया जा रहा है, ये इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश हैं...
लेकिन यहाँ अगर किसी मुस्लिम को अपराध में पकड़ लिया और आरोप साबित होने पर सजा दे दी, तो सारे मुस्लिम, सेकुलर, मिडिया सब चिल्लाने लगते है कि "मुस्लिमो को फसाया जा रहा है",,,,,," ये इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश हैं"...."ये कानून की नाइंसाफी हैं"...
अरे आजादी से लेकर अबतक 169 फांसियां हो चुकी है जिसमें से सिर्फ 19 मुसलमान हैं।। बाकी 150 हिंदू ही हैं, फिर भी हिंदुओ ने तो कभी ऐसा विरोध नहीं किया जैसा कि मुस्लिम याकूब के मामले में कर रहे हैं...
और जो मुसलमान यहाँ कानून के इंसाफ पर सवाल उठा रहे है वो ये बताए जब शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया गया था.....
जब देश के सविंधान के खिलाफ मुस्लिमों के लिए अलग पर्सनल ला बोर्ड लाया गया.... जब 2008 बंगलौर बम ब्लास्ट के आरोपी मदनी की बेल के लिए केरल सरकार ने विशेष सत्र बुलाया था.....
असम दंगे में हिन्दुओं का मरवाने वाला बदरुद्दीन अजमल एमपी बना बैठा है......
तो खुद को आईएसआई का एजेंट कहकर भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वाला बीस वांरटी बुखारी भी आजाद है, इन मामलों पर तो किसी मुस्लिम ने कानून व्यवस्था पर सवाल नहीं उठाया था...

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