संस्कृत वाक्य अभ्यासः
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सा धारा अस्ति
= वह धारा है ।
= वह धारा है ।
धारा भोजनालयं चालयति
= धारा भोजनालय चलाती है ।
= धारा भोजनालय चलाती है ।
सा सर्वत्र उपाहार-पात्राणि अपि प्रेषयति
= वह सब जगह टिफिन भी भेजती है
= वह सब जगह टिफिन भी भेजती है
उपाहारपात्रे सा व्यञ्जनानां नाम लिखति
= वह टिफ़िन पर व्यंजनों के नाम लिखति है ।
= वह टिफ़िन पर व्यंजनों के नाम लिखति है ।
प्रथमे भाजने "रोटिकाः " इति लिखति
= पहले डब्बे में रोटियाँ लिखती है ।
= पहले डब्बे में रोटियाँ लिखती है ।
द्वितीये भाजने " शाकम् " इति लिखति
= दूसरे डब्बे में सब्जी लिखती है ।
= दूसरे डब्बे में सब्जी लिखती है ।
कस्य शाकम् अस्ति ?
= किसकी सब्जी है ?
= किसकी सब्जी है ?
तद् अपि लिखति
= वह भी लिखती है ।
= वह भी लिखती है ।
यथा " वृन्ताकस्य शाकम् "
= जैसे बैगन की सब्जी
= जैसे बैगन की सब्जी
अल्लूकस्य रक्तफलस्य शाकम्
= आलू टमाटर की सब्जी
= आलू टमाटर की सब्जी
तृतीये भाजने सा " ओदनम् " लिखति
= तीसरे डब्बे में वह चावल लिखती है
= तीसरे डब्बे में वह चावल लिखती है
चतुर्थे भाजने सा " दालम् " लिखति
= चौथे डब्बे में वह दाल लिखती है ।
= चौथे डब्बे में वह दाल लिखती है ।
सम्पूर्णम् भोजनपात्रं एकस्मिन् स्यूते स्थापयति
= पूरा टिफ़िन एक थैले में रखती है ।
= पूरा टिफ़िन एक थैले में रखती है ।
स्यूते भोजन-मन्त्रः लिखितः भवति
= थैले में भोजन मन्त्र लिखा रहता है
= थैले में भोजन मन्त्र लिखा रहता है
" ओम् अन्नपते अन्नस्य नो देहि अनमीवस्य शुष्मिणः ।
प्र प्र दातारं तारिष ऊर्जम् नो धेहि द्विपदे शं चतुष्पदे ।"
यजुर्वेद ११ /८३
प्र प्र दातारं तारिष ऊर्जम् नो धेहि द्विपदे शं चतुष्पदे ।"
यजुर्वेद ११ /८३
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