Thursday 30 July 2015

mediya......

सच्चाई ये नही है की मुस्लिम होने के कारण याकूब को फांसी दी गयी ।
बल्कि सच्चाई ये है की मुस्लिम होने के कारण याकूब को ऐसे वकील मुफ़्त में मिले जिनकी फीस करोड़ो रूपये थी । मुस्लिम होने के कारण उसे न्याय के लिए 1 रूपये भी खर्च नही करने पड़े क्योकि जमात ने उसके लिए पैसे खर्च किये और मुस्लिम होने के कारण ही सुप्रीम कोर्ट 2 दिनों में तीन बार सुनवाई करता है और रात के 2 बजे से 4 बजे तक भी बेंच बैठती है ।
मुस्लिम होने के कारण ही राष्ट्रपति उसकी दया की अर्जी पर तीन बार विचार करते है ।
ओबैसी भारत में 153 हिन्दुओ को फांसी दी गयी है क्या तुम कोई उदाहरण बता सकते हो जिसमे किसी हिन्दू अपराधी को इतनी फेशलिटी दी गयी हो ? दोगलेपन की इंतिहा हमने देखी । नरेंद्र मोदी को बिना किसी सुनवाई के सजा देने की मांग करने वाले सेकूलर सूअर 23 साल चले सुनवाई के बाद दोषी करार दिए गए याकूब को निर्दोष कहते है
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Zee न्यूज पर मनिदंर सिंह बिट्टा ने बहुत बड़ी बात कही - इन आतंकवादीयों का केस लड़ने वाले नामी वकील होते है जिनका किसी केस में एक ही सुनवाई का खर्चा लाखों रूपया होता है और वो खर्चा कौन फंडिंग करता है इनके तार किन किन से जुड़े होते हैं इसकी जाँच होनी चाहिए...
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एक आतंकी जिसने 257 लोगो को मार डाला उस आदमी के लिए इतनी भीड़ !!!!
आतंक का धर्म नहीं होता ????
शर्म आणि चाहिए इन मुसलमानों को जो भारत में रहके आतंकवादियों से हमदर्दी रखते है ।



एक आतंकी के फांसी पर बहस जारी है इसकी टेक्निकल खामिया निकाली जा रही है, ये हमारे जवानो का अपमान है हमारे देश का अपमान है ।
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दिल्ली क्षेत्र का आर्क विशप जॉन दयाल कई महीनो से याकूब की माफ़ी के लिए लगा हुआ था । उसने पोप को पत्र लिखकर अपील किया था की वो याकूब की फांसी रोकने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे ।
कल ये टाइम्स नाऊ चैनल पर याकूब के समर्थन में बड़ी बड़ी दलीले दे रहा था और कह रहा था की यदि कोई सुधर गया हो तो उसे नये सिरे से जिंदगी जीने देना चाहिए ।
ये वही नीच दोगला जॉन दयाल है जिसने उड़ीसा में बड़े पैमाने पर आदिवासियों को ईसाई बनाने वाले ग्राहम स्टेन्स को मारने वाले दारा सिंह को फांसी देने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी ।
आखिर हम हिन्दू ऐसे दोगलो को अपने बीच कब तक बर्दाश्त करेंगे ?
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रावण जब रणभूमि में मृत्युशय्या पर अंतिम सांसे ले रहा था तब उसने श्री राम से कहा-
राम मैं तुमसे हर बात में श्रेष्ठ हूँ।
जाति मेरी ब्राह्मण हैं, जो तुमसे श्रेष्ठ है।
आयु में भी तुमसे बड़ा हूँ,
मेरा कुटुम्ब तुम्हारे कुटुम्ब से बड़ा है।
मेरा वैभव तुमसे अघिक हैं,
तुम्हारा महल स्वर्णजड़ित है परन्तु मेरी पूरी लंका ही स्वर्ण नगरी है,
मैं बल और पराक्रम में भी तुमसे श्रेष्ठ हूँ,
मेरा राज्य तुम्हारे राज्य से बड़ा है,
ज्ञान और तपस्या में तुमसे श्रेष्ठ हूँ।
इतनी श्रेष्ठताओं के होने पर भी रणभूमि में मैं तुमसे परास्त हो गया।
सिर्फ इसलिये कि
तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ है, और मेरा भाई ...????
एक हो जाओ हिन्दू भाइयों वरना सबकुछ होकर भी कुछ नहीं बचेगा।
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इस देश में कोई आधी रात को चाय की दूकान खोलना पसंद नही करता और ....आतंकी के लिए वकील और सुप्रीम कोर्ट अपनी दूकान खोल लेते है..........
एक आतंकी के न्याय के लिए कोर्ट ये दलील देते हुए की सबको न्याय का हक हे रात दो बजे दरवाजा खोल देती है है ...सुप्रीम कोर्ट में लंबित केस क्या .... न्याय के लिए नही..... उनके लिए कोर्ट क्यों 5 बजे बंद हो जाता है...
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.क्या कोर्ट की नजर में देश के आतंकी प्रमुख हे और देश का नागरिक दोयम दर्जे का.......
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