Saturday, 11 July 2015

ॐ नमः शिवाय
1400 साल पहले ... 200 साल तक 20 पिढीयों ने
पहाड को उपर से नीचे की तरफ तराशकर बनाया
गया यह " घृष्णेश्वर मंदिर " .. ताजमहल से लाख
गुना सुंदर और आकर्षक है .. भारतीय शिल्प कला का
अद्भुत नमूना है .. संपूर्ण हिन्दू पौराणिक कथाओं के
शिल्प है ... विष्णु अवतार , महादेव से लेकर रामायण
महाभारत भी ... मुर्तीयो के रूप में दर्शाया है ... वो
भी 1400 साल पहले
घृष्णेश्वर मंदिर , वेरुळ लेणी
संभाजीनगर , महाराष्ट्र
यह मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर (औरंगाबाद) के समीप दौलताबाद से 11 किलोमीटर
की दुरी पर स्थित है. यह स्थान विश्वप्रसिद्ध
एलोरा गुफाओं से एकदम लगा हुआ तथा वेलुर
नामक गाँव में स्थित है.
प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों में इसे कुम्कुमेश्वर के
नाम से भी संदर्भित किया गया है.
घृष्णेश्वर मंदिर एलोरा गुफाओं से मात्र 500
मीटर की दुरी पर तथा संभाजी नगर से 30
किलोमीटर की दुरी पर स्थित है. संभाजीनगर
से घृष्णेश्वर का 45 मिनट का सफ़र यादगार
होता है क्योंकि यह रास्ता नयनाभिराम
सह्याद्री पर्वत के सामानांतर दौलताबाद,
खुलताबाद और एलोरा गुफाओं से होकर जाता
है.

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