पत्रकारोँ मेँ दो वर्ग है। एक- जो दिल्ली और प्रांतीय राजधानियोँ मेँ पत्रकारिता से जुड़े हैँ। दूसरे- जो विभिन्न जनपदोँ और ग्रामीण क्षेत्रोँ मेँ पत्रकारिता करते हैँ।
एक श्रेणी वाले सत्ताधीशोँ की निकटता का अपनी क्षमतानुसार लाभ ग्रहण कर आलीशान जिन्दगी जीते हैँ। जैसे- राजदीप देसाई, पुण्य प्रसून, वाजपेयी, रवीश रजत शर्मा, अंजना ओम कश्यप, अर्नव गोस्वामी, आशुतोष, संदीप चौधरी आदि आदि ।
दूसरे श्रेणी वाले बिना पैसा मेँ काम करते हुए किसी तरह दिन काटते हैँ। उनके बीबी बच्चे भी उन्हे ताना मारते रहते है। दूसरे वाले बड़े भावुक होते हैँ जबकि पहले वाले एकदम से भावहीन।
जाँच पहली श्रेणी वालोँ की करायेँ तो कुछ मिलेगा । अन्यथा झुनझुना ही बजाना होगा । मरते भी हैँ दूसरी श्रेणी वाले । अक्षय, जगेन्द्र भी दूसरी श्रेणी के पत्रकार हैँ। वैसे जाँच किसी की नही होनी है ।
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