संस्कृत वाक्य अभ्यासः
~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~
दश-वर्षाणि पूर्वं सुजितः निर्धनः आसीत्
= दस वर्ष पहले सुजित निर्धन था ।
= दस वर्ष पहले सुजित निर्धन था ।
सुजितः धनम् अर्जयितुं बहु परिश्रमम् अकरोत्
= सुजित ने धन कमाने के लिये बहुत श्रम किया
= सुजित ने धन कमाने के लिये बहुत श्रम किया
त्रीणि-वर्षाणि अनन्तरं सः लक्षाधिपतिः जातः
= तीन वर्ष के बाद वह लखपति बन गया
= तीन वर्ष के बाद वह लखपति बन गया
तथापि सुजितः सन्तुष्टः न आसीत्
= फिर भी सुजित संतुष्ट नहीं था ।
= फिर भी सुजित संतुष्ट नहीं था ।
सः इतोsपि अधिकं श्रमम् अकरोत्
= उसने और अधिक श्रम किया ।
= उसने और अधिक श्रम किया ।
तस्य भार्या अपि सहयोगं कृतवती ।
= उसकी पत्नी ने भी सहयोग किया
= उसकी पत्नी ने भी सहयोग किया
अधुना सह कोट्याधिपतिः अस्ति
= अब वह करोड़पति है ।
= अब वह करोड़पति है ।
तथापि सः सन्तुष्टः नास्ति
= फिर भी वह संतुष्ट नहीं है
= फिर भी वह संतुष्ट नहीं है
सुजितः अर्बुदाधिपतिः भवितुम् इच्छति
= सुजीत अरबपति बनना चाहता है ।
= सुजीत अरबपति बनना चाहता है ।
किं कुर्मः , सः सन्तुष्टः एव न भवति
= क्या करें , वह संतुष्ट ही नहीं होता है ।
= क्या करें , वह संतुष्ट ही नहीं होता है ।
[ असंतोषपरा मूढा: संतोषं यान्ति पण्डिताः ।
अन्तो नास्ति पिपासायाः सन्तोषः परमं सुखम् ।।
अन्तो नास्ति पिपासायाः सन्तोषः परमं सुखम् ।।
अर्थात् मूर्ख लोग सदा असंतोष में डूबे रहते हैं जबकि बुद्धिमान जन संतोष धारण करते हैं । तृष्णा का कोई अन्त नहीं होता है अतः संतोष ही सर्वोत्तम सुख है । ]
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
संस्कृत वाक्य अभ्यासः
~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~
* तव पार्श्वे धनं तु बहु अधिकम् अस्ति
= तुम्हारे पास तो बहुत अधिक धन है
= तुम्हारे पास तो बहुत अधिक धन है
* त्वं तु धनिकः असि
= तुम तो धनिक हो
= तुम तो धनिक हो
* तथापि त्वं किमपि दानं न करोषि
= फिर भी तुम कुछ भी दान नहीं करते हो
= फिर भी तुम कुछ भी दान नहीं करते हो
∆ आम् , न करोमि ।
= हाँ नहीं करता हूँ ।
= हाँ नहीं करता हूँ ।
∆ धनं तु मया अर्जितम्
= धन तो मैंने कमाया है ।
= धन तो मैंने कमाया है ।
∆ तर्हि किमर्थं ददामि दानम् ?
= तो फिर क्यों दान दूँ ?
= तो फिर क्यों दान दूँ ?
* ये निर्धनाः सन्ति , अपङ्गाः सन्ति
= जो निर्धन हैं , अपंग हैं
= जो निर्धन हैं , अपंग हैं
* तेभ्यः दानं देयं भवति
= उनको दान देना चाहिये ।
= उनको दान देना चाहिये ।
∆ मम धनं किमर्थं ददामि ?
= मेरा धन क्यों दूँ ?
= मेरा धन क्यों दूँ ?
* पुण्यलाभार्थम् = पुण्यलाभ के लिये
[ चला लक्ष्मीः चला प्राणाः चलं जीवितयौवनम् ।
चला-अचले च संसारे धर्म एको हि निश्चलः ।।
चला-अचले च संसारे धर्म एको हि निश्चलः ।।
यह धन-संपत्ति चंचल है और प्राण , जीवन और यौवन भी चंचल है । इस चल तथा अचल वस्तुओं वाले संसार में एक धर्म ही निश्चल है । ]
No comments:
Post a Comment