बच्चों को तकलीफ में देखकर मां के दिल पर क्या गुजरती है, यह तो एक मां ही जानती है। अपने बच्चों को बचाने के लिए मां किसी से भी मुकाबला कर सकती है।
कुछ ऐसा ही हुआ जब एक मादा खरगोश के दो बच्चों को सांप ने पकड़ लिया। यह मादा खरगोश अपने बच्चों को बचाने के लिए सांप से भिड़ गयी। सांप इन बच्चों को मारकर अपना भोजन बनाना चाहता था। इतने में मादा खरगोश वहां आ गयी और उसने जब अपने बच्चों की ऐसी हालत देखी तो वह सांप से भिड़ गयी। लाख कोशिश के बाद अपने एक बच्चे को बचाने में कामयाब रही जबकि दूसरे बच्चे को सांप ने मार डाला।
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अमरनाथ गुफा किसने खोजी?
प्रस्तुति: फरहाना ताज
कई टीवी चैनल वाले बार-बार दिखा रहे हैं कि
अमरनाथ गुफा की खोज एक मुस्लिम गडरिये ने
सौलहवी सदी में की थी।
12 शदी में महाराज अनंगपाल ने अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी महारानी सुमन देवी के साथ....वंशचरितावली में पढें, जो 16वीं सदी से पहले लिखी गई थी। कल्हण की राजतरंगिनी तरंग द्वितीय में उल्लेख मिलता है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शिव के भक्त थे और वे पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा करने जाते थे। बर्फ का शिवलिंग कश्मीर को छोड़कर विश्व में कहीं भी नहीं है।
भृगू संहिता में भी इस गुफा का उल्लेख है। बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण, कल्हण की
राजतरंगिनी आदि में अमरनाथ तीर्थ का बराबर उल्लेख मिलता है।
बृंगेश संहिता में कुछ महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख है,
जहां तीर्थयात्रियों को अमरनाथ गुफा की ओर जाते समय धार्मिक अनुष्ठान करने पड़ते थे। उनमें अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी (2,811 मीटर), सुशरामनगर (शेषनाग, 3454 मीटर), पंचतरंगिनी (पंचतरणी, 3,845 मीटर) और अमरावती शामिल हैं।
अब बात वैज्ञानिक: यह गुफा पूर्णरूपेण प्राकृतिक है, शिवलिंग प्राकृतिक कारणों से बनता है! ईश्वर, जीव और प्रकृति त्रेतवाद के सिद्धांत के अनुसार यदि कोई वस्तु प्राकृतिक तरीके से बनती है तो उसी प्रकार वह खत्म होती है, जैसे यह शिवलिंग गर्मी पाक खत्म हो जाता है। यहां आस्था है लोगों की ईश्वर के चमत्कार पर, जबकि यह चमत्कार है प्रकृति का...फूल, पेड़ पौधे क्या ये चमत्कार नहीं हैं? बादलों का बनना क्या चमत्कार नहीं है...नहीं...नहीं...यह चमत्कार नहीं सब वैज्ञानिक सिद्धांतों के कारण हैं।
ईश्वर जिसे महादेव भी कह सकते हैं, उसे दयालु और न्यायकारी कहा जाता है। वह बड़ा ही दयालु है, क्योंकि उसने हमें कर्म करने की स्वतंत्रता दी है और वह बड़ा ही न्यायकारी भी है, क्योंकि जैसा हम जैसा कर्म करते हैं, वह वैसा ही फल देता है...
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अमरनाथ गुफा किसने खोजी?
प्रस्तुति: फरहाना ताज
कई टीवी चैनल वाले बार-बार दिखा रहे हैं कि
अमरनाथ गुफा की खोज एक मुस्लिम गडरिये ने
सौलहवी सदी में की थी।
12 शदी में महाराज अनंगपाल ने अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी महारानी सुमन देवी के साथ....वंशचरितावली में पढें, जो 16वीं सदी से पहले लिखी गई थी। कल्हण की राजतरंगिनी तरंग द्वितीय में उल्लेख मिलता है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शिव के भक्त थे और वे पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा करने जाते थे। बर्फ का शिवलिंग कश्मीर को छोड़कर विश्व में कहीं भी नहीं है।
भृगू संहिता में भी इस गुफा का उल्लेख है। बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण, कल्हण की
राजतरंगिनी आदि में अमरनाथ तीर्थ का बराबर उल्लेख मिलता है।
बृंगेश संहिता में कुछ महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख है,
जहां तीर्थयात्रियों को अमरनाथ गुफा की ओर जाते समय धार्मिक अनुष्ठान करने पड़ते थे। उनमें अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी (2,811 मीटर), सुशरामनगर (शेषनाग, 3454 मीटर), पंचतरंगिनी (पंचतरणी, 3,845 मीटर) और अमरावती शामिल हैं।
अब बात वैज्ञानिक: यह गुफा पूर्णरूपेण प्राकृतिक है, शिवलिंग प्राकृतिक कारणों से बनता है! ईश्वर, जीव और प्रकृति त्रेतवाद के सिद्धांत के अनुसार यदि कोई वस्तु प्राकृतिक तरीके से बनती है तो उसी प्रकार वह खत्म होती है, जैसे यह शिवलिंग गर्मी पाक खत्म हो जाता है। यहां आस्था है लोगों की ईश्वर के चमत्कार पर, जबकि यह चमत्कार है प्रकृति का...फूल, पेड़ पौधे क्या ये चमत्कार नहीं हैं? बादलों का बनना क्या चमत्कार नहीं है...नहीं...नहीं...यह चमत्कार नहीं सब वैज्ञानिक सिद्धांतों के कारण हैं।
ईश्वर जिसे महादेव भी कह सकते हैं, उसे दयालु और न्यायकारी कहा जाता है। वह बड़ा ही दयालु है, क्योंकि उसने हमें कर्म करने की स्वतंत्रता दी है और वह बड़ा ही न्यायकारी भी है, क्योंकि जैसा हम जैसा कर्म करते हैं, वह वैसा ही फल देता है...
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